Virtual Autism: आज के समय में बच्चें बिना फोन के शायद ही नजर आते हो, अगर वे हर समय फोन में लगे नजर आए तो ये पेरेंट्स के लिए एक चिंता का विषय हो सकता है। पहले पेरेंट्स बच्चों की जिद पूरी करने के लिए उन्हें फोन दिला देते है और बाद में पछताना पड़ जाता है क्योंकि बच्चों को इसकी लत लग जाती है जो बहुत ही खतरनाक साबित हो सकती है। फोन की लत लग जाने पर बहुत सारे खतरे सामने आए है उन्ही में से एक है वर्चुअल ऑटिज्म, बच्चें इस समस्या का बहुत तेज़ी से शिकार हो रहे है। आइए जाने क्या है वर्चुअल ऑटिज्म, लक्षण और उपचार।
वर्चुअल ऑटिज्म क्या है? लक्षण और उपचार
वर्चुअल ऑटिज्म क्या है
वर्चुअल ऑटिज्म एक चिंताजनक स्थिति है जो बच्चों को मोबाइल, स्मार्टफोन, टीवी और कंप्यूटर के सामने ज्यादा समय बिताने से प्राप्त होती है। इसके परिणामस्वरूप, बच्चे संवाद कौशल में कमजोर होते हैं और अन्य लोगों के साथ सहज तरीके से इंटरैक्ट करने में मुश्किल महसूस करते हैं। वे अक्सर अपने सामाजिक और कम्युनिकेशन स्किल्स को विकसित करने के लिए अवसरों से वंचित रहते हैं, जिससे उनका सामाजिक और भाषिक विकास प्रभावित होता है। इस स्थिति से बचने के लिए, माता-पिता को अपने बच्चों को स्क्रीन टाइम को सीमित रखने और उन्हें वास्तविक जीवन में सामाजिक और इंटरपर्सनल गतिविधियों में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षण
बोलते समय हकलाहट: वर्चुअल ऑटिज्म में बच्चा बोलते समय विशेष रूप से अक्षरों को एक साथ जोड़कर बोलता है, जिससे बोलने में अटकाव और हकलाहट का अनुभव होता है।
आंखों में आंखें डालकर बात करने में हिचकिचाहट: यह लक्षण दिखाता है कि बच्चा अन्य लोगों के साथ बात करते समय झिझकता है या शर्माता है, जिससे उसकी संभाषण क्षमता में कमी होती है।
संचार के विकास में धीमापन: वर्चुअल ऑटिज्म में बच्चों के बीच संवाद में बातचीत की गती धीमी होती है, जिससे उनकी सामाजिक और भाषाई कौशल में कमी होती है।
आईक्यू लेवल में कमी: वर्चुअल ऑटिज्म के बच्चों का आईक्यू लेवल आमतौर पर सामान्य से कम होता है, जो उनके मानसिक विकास में रुकावट डालता है।
वर्चुअल ऑटिज्म का उपचार
बच्चे का स्क्रीन टाइम सीमित करें: बच्चों को उपयोगकर्ता के अधिक स्क्रीन टाइम से दूर रखना चाहिए।
उसके साथ समय बिताएं: बच्चे के साथ समय बिताना और उनके साथ गतिविधियों में भाग लेना महत्वपूर्ण है।
बच्चे को शैक्षिक गतिविधियों में दिलचस्पी दिखाएं: उन्हें मनोरंजन के साथ-साथ शैक्षिक गतिविधियों में भी संलग्न करें।
पुस्तकें पढ़ाएं: बच्चों को फोन के स्थान पर पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
आउटडोर गेम्स और गतिविधियों में भाग लेने की प्रोत्साहना करें: उन्हें बाहर खेलने और विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।
स्लीप पैटर्न को ध्यान में रखें: बच्चे का सही स्लीप पैटर्न बनाए रखना और उन्हें प्राथमिकता देना चाहिए।
अपनी आदतों में सुधार करें: माता-पिता को भी अपने स्क्रीन टाइम को कम करने और बच्चों के साथ अधिक समय बिताने का प्रयास करना चाहिए।
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