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(Image Credit: Pinterest)
What Was Breast Tax?: इतिहास के पन्ने पलट के देखा जाए तो भारत पर राज करने वालों ने केवल भारत की जमीन और लोगों पर राज नहीं किया बल्कि उनके अनाज, स्वाधीनता, आत्म सम्मान और यहां तक कि उनके शरीर को भी नहीं छोड़ा। एक देश की अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए टैक्स या कर की आवश्यकता होती है आज भारत में कई ऐसे कर हैं जिसकी भरपाई देश का हर नागरिक करता है। शॉपिंग, सड़क, राशन, बिजली, रेस्टोरेंट में भोजन आदि सभी चीज़ों में टैक्स शामिल होता है।वैसे ही पुराने समय में भी ऐसे टैक्स लगाए जाते थे पर कई क्रूर शासकों ने ऐसी दरिद्रता की औरतों के तन ढकने पर भी टैक्स तक लगा दिया। आईए जानतें है कि आख़िर ये ब्रेस्ट टैक्स था क्या? और इसे किसने लागू किया?
जानें क्या होता था स्तन कर?
1. आखिर ये ब्रेस्ट टैक्स था क्या?
ब्रिटिशों के भारत पर कब्जा जमा लेने के बाद 19वीं सदी की शुरुआत में एक प्रिंसली स्टेट यानी राज्य में यह टैक्स लागू किया गया था इस टैक्स के अनुसार कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी लिंग का हो अपने अप्पर बॉडी को कवर करने के लिए टेक्स भरता था।
2. कहां पर लगाया गया था यह टेक्स?
उस समय भारत के त्रावनकोर जिले के प्रिंसली स्टेट यानी की देशी राज्य में यह टैक्स लगाया गया था। प्रिंसली स्टेट यानी भारत में कई राज्य ऐसे थे जो कि ब्रिटिश शासन के अंतर्गत नहीं थे। उन राज्यों को प्रिंसली स्टेट कहा जाता था। आज के समय में यह त्रावनकोर जिला केरल में स्थित है।
3. किन लोगों पर लगाया गया था टैक्स?
ब्रेस्ट टैक्स जिसे उस जमाने में मुलक्करम टैक्स कहा जाता था केवल लोवर कास्ट वाले व्यक्तियों पर लागू था। उस जमाने में अपने अप्पर बॉडी को कवर करना एक बड़ी जाति या बड़े घर-परिवार की निशानी थी। यह टेक्स दलित जनता खासकर एजावा या नदर कम्युनिटी के लोगों पर लगाया गया था।
4. और भी थे कई टैक्स
उस जमाने में सिर्फ मुलक्करम यानी अप्पर बॉडी को कवर करने पर टैक्स लगाने के अलावा मूंछों और अपने सर को कवर करने पर भी टैक्स लगाया गया था। इस टैक्स की भरपाई लोग केले के पत्ते पर चावल देकर करते थे।
5. आखिर कैसे खत्म हुआ यह ब्रेस्ट टैक्स?
एक एजावा कम्युनिटी की महिला जिसका नाम था नंगेली। इस टैक्स के विरोध में उन्होंने अपने दोनों स्तनों को काटकर टैक्स के रूप में दे दिया और अपनी जान दे दी। यह सब होने के बाद लोगों में आक्रोश जाग गया और इस टैक्स को बंद कर दिया गया। कई लेखक ऐसा भी कहते हैं कि इसके बाद अंग्रेजों ने इन टैक्स को तो बंद कर दिया मगर यह सारे टैक्स जिन चीजों पर लगाए गए थे उनको बंद करने के लिए सबको ईसाई धर्म अपनाने के लिए कहा। जो भी व्यक्ति ईसाई धर्म को अपना लेता उसे अपने तन ढकने, मूछ रखने या किसी भी आभूषण को धारण करने के लिए कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा।