Holi 2025: शादी के बाद लड़कियां ससुराल में क्यों नहीं मनाती हैं पहली होली?

होली, रंगों का त्योहार, जो खुशियों और उल्लास का प्रतीक है, एक ऐसा त्योहार है जो हर साल पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी के बाद लड़कियां अपनी पहली होली ससुराल में नहीं मनाती हैं?

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Vaishali Garg
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शादी के बाद लड़कियां ससुराल में क्यों नहीं मनाती हैं पहली होली?

Holi 2025: होलीभारत में हर त्योहार सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि परंपराओं और भावनाओं का संगम होता है। होली भी ऐसा ही एक रंग-बिरंगा त्योहार है, जो रिश्तों में मिठास घोलने और समाज को एकजुट करने का काम करता है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि शादी के बाद आमतौर पर नई बहू अपनी पहली होली ससुराल में नहीं बल्कि मायके में मनाती है? यह प्रथा सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि इसके पीछे कई भावनात्मक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू जुड़े हुए हैं।

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जब एक लड़की शादी के बाद ससुराल जाती है, तो उसके जीवन में कई बड़े बदलाव आते हैं। नई ज़िंदगी, नए रिश्ते और एक नए घर में खुद को ढालने की प्रक्रिया चल रही होती है। ऐसे में पहली होली का मायके में मनाया जाना न सिर्फ उसकी भावनाओं को संबल देता है, बल्कि यह परिवार के बीच एक अनकही डोर को भी मज़बूत करता है। लेकिन यह परंपरा आखिर कब और कैसे शुरू हुई? क्या हर जगह यह मान्यता समान रूप से प्रचलित है या फिर अलग-अलग राज्यों में इसके नियम बदलते हैं? क्या इसके पीछे कोई धार्मिक कारण है या फिर यह केवल समाज द्वारा बनाई गई एक परंपरा है?

शादी के बाद लड़कियां ससुराल में क्यों नहीं मनाती हैं पहली होली?

पौराणिक कथा

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हिंदू धर्म में, होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था जिसने सोचा कि वह अमर है। उसके पुत्र प्रह्लाद, विष्णु के भक्त थे। हिरण्यकश्यप अपने बेटे को मारने का प्रयास करता रहा, लेकिन असफल रहा। अपनी बहन होलिका की मदद से, उसने प्रह्लाद को जलाने की कोशिश की। होलिका को एक विशेष वस्त्र मिला था जो उसे आग से बचाता था। हवा के झोंके के कारण, वस्त्र प्रह्लाद के ऊपर आ गया और होलिका जल गई।

कथा के अनुसार, होलिका की शादी उसी दिन होनी थी जिस दिन वह मरी थी। इस अशुभ घटना के कारण, एक परंपरा बन गई कि नवविवाहित लड़की अपनी पहली होली अपने मायके में ही मनाए।

संस्कार और रीति-रिवाज

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हर परिवार में होली मनाने की अपनी रीति-रिवाज होती हैं। लड़की के लिए, पहली होली अपने मायके में मनाना, अपने परिवार की रीति-रिवाजों को निभाने का एक तरीका भी है। 

भावनात्मक जुड़ाव

पहली होली, लड़की के लिए एक भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण त्योहार होता है। मायके में मनाने से उसे अपने परिवार के साथ जुड़ाव महसूस होता है, जो उसे अपने नए जीवन में आने वाले बदलावों के लिए तैयार करता है।

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हालांकि, आज के दौर में, यह परंपरा धीरे-धीरे बदल रही है। कई लड़कियां अपनी पहली होली ससुराल में मनाना पसंद करती हैं। शादी के बाद लड़कियां ससुराल में क्यों नहीं मनाती हैं पहली होली, इसके पीछे कई कारण हैं। यह एक सदियों पुरानी परंपरा है, जिसमें कई मान्यताएं और रीति-रिवाज जुड़े हुए हैं। 

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यदि आपके कोई प्रश्न या चिंताएं हैं, तो कृपया किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।

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