Saying No: महिलाओं की मानसिक शांति के लिए "ना" कहने की आदत सीखना क्यों है जरूरी?

हमें अक्सर सिखाया जाता है कि सबकी मदद करो, सबके साथ मिलकर चलो लेकिन ऐसा करते करते हम कब खुद को खोने लग जाते हैं पता ही नहीं लगता। खासकर महिलाएं इन उसूलों और जिम्मेदारियों में फंसाकर किसी काम को मन न करने पर भी "ना" कहना या मना करना भूल जाती हैं।

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Kirti Sirohi
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Say No

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Why Is It Important For Women To Learn The Habit Of Saying No For Their Mental Peace: महिला होने के नाते हमें अक्सर समाज कई तरह की जिम्मेदारियों और नियमों से नवाजता है। इन्हीं में से एक है कि महिलाओं को हमेशा और हर काम के लिए "हां" कहनी चाहिए या तैयार रहना चाहिए। परिवार, दोस्त, साथी, कॉलीग्स और यहां तक कि अनजान लोग भी अक्सर महिलाओं से केवल थी उम्मीद करते हैं कि वे उनकी इच्छाओं को प्राथमिकता दें। लेकिन हर बार "हां" कहना क्या जरूरी है? इसका सख्त उत्तर है "बिल्कुल नहीं" समाज की रीत और रिवाजों की बेड़ियों में बांधकर अक्सर महिलाएं दूसरों को खुश करने के लिए अपनी जरूरतों, चाहतों और आजादी को दरकिनार कर देती है जिसका उनको शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से हर्जाना भुगतना होता है। इसलिए, "ना" कहना सीखना न केवल आपके लिए जरूरी है बल्कि यह महिलाओं के लिए कई तरह से फायदेमंद भी है।

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महिलाएं "ना" कहना सीखें

तनाव और चिंता कम होती है

हर बार "हां" कहने की आदत से महिलाएं अनावश्यक और अतिरिक्त बोझ में दब जाती हैं। क्योंकि वे खुद को ऐसे कार्यों में उलझा लेती हैं जिन्हें वे करना नहीं चाहतीं, जिससे उनके मन में संकोच या असंतोष है और इस वजह से उनके दिमाग में तनाव बढ़ता है। जब भी कोई महिला अपने लिए "ना" कहना सीख लेती है तो बेवजह की जिम्मेदारियों से आजाद हो जाती हैं और इससे न केवल उनका मानसिक तनाव कम होता है बल्कि वे अपने दिमाग को शांत और संतुलित बनाए रखने में भी सक्षम होती हैं।

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समय की बर्बादी से बचेंगी

अगर आप दूसरों के कामों या बातों के लिए "हां" करती हैं तो इससे आपका प्लान और प्रबंधन भी बिगड़ता है। क्योंकि जब आप खुद को दूसरों के कार्यों में खुद को उलझा लेंगी तो उनके अपनी प्राथमिकताओं के लिए समय या तो मिलेगा ही नहीं या मिलेगा तो बेहद कम! इसलिए "ना" कहना आपको उन चीजों, लोगों और कामों से दूर रखता है जो उनके लक्ष्य, सपनों और इच्छाओं से मेल नहीं खाती या बीच में आती हैं और इस तरह आप अपना समय ज्यादा जरूरी और उत्पादक कार्यों में लगा सकती हैं।

सेल्फ-डेवलपमेंट होगा 

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"ना" कहने की आदत महिलाओं को आत्म-विकास यानी सेल्फ-डेवलपमेंट का भीड़ अच्छा मौका देती है। जब आप दूसरों की अपेक्षाओं में उलझने की बजाय खुद को प्राथमिकता देना सीख जाती हैं तो अपने टैलेंट को निखारने, नई स्किल्स को सीखने और अपने करियर व व्यक्तिगत जीवन में आगे बढ़ने पर ध्यान केंद्रित कर पाती हैं जोकि आपके आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास को भी बढ़ाता है और आपके व्यक्तिगत विकास में मदद करता है।

अपने लिए समय निकाल पाएंगी

महिलाओं को शुरू से जिम्मेदार बनना सिखाया जाता है और इससे उनके अंदर हर किसी की मदद करने या सबकी जिम्मेदारियों को अपने ऊपर लेने की आदत बन जाती है। लेकिन जब आप "ना" कहना सीख जाती हैं तो खुद की देखभाल यानी सेल्फ केयर पर ध्यान देती हैं और अपनी हॉबी, नई गतिविधियों या अन्य पसंदीदा कामों को करना शुरू करती हैं जो आपको खुशी और सुकून देते हैं।

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मानसिक और भावनात्मक स्वतंत्रता 

हमेशा हर किसी की खुशी के लिए उनके कामों को "हां" कहने की आपकी आदत आपको मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर बना देती है। जब आप अपनी इच्छाओं के खिलाफ जाकर कोई भी काम करती हैं तो खुद को कैद महसूस करने लगती हैं, इससे सेल्फ-डाउट बढ़ता है और आप मानसिक रूप से दबने लग जाती हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर "ना" कह देने से आप मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वतंत्रता महसूस करती हैं और यह आजादी आपको अपने जीवन के फैसले खुद लेने की शक्ति देती है।

प्रोडक्टिविटी में वृद्धि होगी

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जब आप दूसरों पर या उनके कामों पर ध्यान न देकर खुद पर तवज्जो दोगी तो अपने गोल्स पर ध्यान केंद्रित करती रहेंगी लेकिन जब आप लोगों से उनके कामों के लिए "ना" कहती हैं तो आपकी उत्पादकता यानी प्रोडक्टिविटी बढ़ जाती है और अपने समय और ऊर्जा को सही दिशा में लगाने लगती हैं, जिससे आप अपने कार्यों को अधिक कुशलता से पूरा कर पाती हैं।

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