महिलाओं को आज भी अपने निर्णय लेने और अपनी आवाज़ उठाने की आज़ादी नहीं है, खासकर जब बात उनके अपने शरीर और जीवन की हो। समाज में अभी भी कई ऐसे मानक और परंपराएं हैं जो महिलाओं को अपने निर्णय लेने से रोकती हैं
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