हमें अक्सर सिखाया जाता है कि सबकी मदद करो, सबके साथ मिलकर चलो लेकिन ऐसा करते करते हम कब खुद को खोने लग जाते हैं पता ही नहीं लगता। खासकर महिलाएं इन उसूलों और जिम्मेदारियों में फंसाकर किसी काम को मन न करने पर भी "ना" कहना या मना करना भूल जाती हैं।
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