Early Childhood से ही सोशल-इमोशनल लर्निंग क्यों इतनी महत्वपूर्ण है?

बचपन से ही सोशल-इमोशनल लर्निंग क्यों इतनी महत्वपूर्ण है? यह बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास में कैसे मदद करता है, और यह उनके भविष्य के लिए क्यों आवश्यक है।

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Sakshi Rai
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Photograph: (Smile Foundation)

Why is Social Emotional Learning so important from Early Childhood: आज के समय में बच्चों का मानसिक और सामाजिक विकास उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना उनकी शैक्षिक शिक्षा। यह न केवल उनके व्यक्तित्व के निर्माण में मदद करता है, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं से निपटने के लिए आवश्यक कौशल भी प्रदान करता है। सोशल-इमोशनल लर्निंग (SEL) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बच्चों को अपने और दूसरों के भावनाओं को समझने, नियंत्रित करने और समाज में सही तरीके से व्यवहार करने की क्षमता विकसित होती है। यह प्रक्रिया बच्चों को सहानुभूति, आत्म-नियंत्रण, और सकारात्मक रिश्तों को बनाने में मदद करती है।

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आज के शिक्षकऔर माता-पिता यह समझते हैं कि बच्चों के समग्र विकास के लिए सिर्फ अकादमिक शिक्षा ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के साथ-साथ सामाजिक कौशल भी सीखने की जरूरत है। इसलिए, बचपन से ही सोशल-इमोशनल लर्निंग को महत्व दिया जा रहा है। यह बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और उन्हें तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार करता है।

EARLY CHILDHOOD से ही सोशल-इमोशनल लर्निंग क्यों इतनी महत्वपूर्ण है?

बच्चों के लिए बचपन के पहले सालों में शिक्षा का तरीका और उन्हें कैसे समझाया जाता है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। यह समय उनके मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए सबसे अहम होता है। जब बच्चे छोटे होते हैं, तो उनकी सामाजिक और भावनात्मक समझ भी विकसित होनी शुरू होती है। इस समय में यदि उन्हें अपनी भावनाओं को समझने और दूसरों के प्रति सहानुभूति रखना सिखाया जाए, तो वह अपनी जिंदगी में बेहतर रिश्ते बना सकते हैं। इस उम्र में बच्चों को खुद से और अपने आसपास के लोगों से जुड़ने का सही तरीका सीखने की जरूरत होती है, ताकि वे आत्मविश्वास से भरे और मानसिक रूप से मजबूत बनें। यही कारण है कि सोशल-इमोशनल लर्निंग (SEL) को शुरुआती बचपन में अपनाना बहुत जरूरी है।

जब बच्चों को अपनी भावनाओं को पहचानने और सही तरीके से व्यक्त करने की समझ दी जाती है, तो उनके अंदर आत्मविश्वास और आत्म-नियंत्रण की भावना मजबूत होती है। यही नहीं, वे समस्याओं को सुलझाने में भी बेहतर होते हैं, क्योंकि उन्हें यह सिखाया जाता है कि वे अपनी भावनाओं का कैसे प्रबंधन करें और शांत दिमाग से फैसले लें। छोटे बच्चों को अगर इस उम्र में सहानुभूति, टीमवर्क, और दूसरों का सम्मान करना सिखाया जाए, तो वे भविष्य में मजबूत और समझदार व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।

आज के समय में जब समाज में इतनी अधिक प्रतिस्पर्धा और तनाव है, बच्चों को पहले ही से मानसिक तौर पर तैयार करना बहुत जरूरी हो गया है। सोशल-इमोशनल लर्निंग के माध्यम से बच्चों को यह सिखाना कि वे अपनी भावनाओं का ठीक से उपयोग करें और दूसरों के साथ कैसे व्यवहार करें, यह उनकी सफलता के लिए बुनियादी कौशल है। यही कारण है कि शैक्षिक विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यह उनकी शिक्षा के साथ-साथ उनके जीवन की सफलता में भी अहम भूमिका निभाता है।

Childhood Childhood Growth Social and Cultural Beliefs