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राजधानी दिल्ली महिलाओं के लिए देश का सबसे अशुरक्षित राज्य बन गया है. ये खुलासा NCRB के सालाना सर्वेक्षण के बाद हुआ है. महिला सुरक्षा को लेकर ये चौकाने वाले आंकड़े एक तरफ जहां सरकरी सुरक्षा वादों पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर चिंता भी बढ़ा दी है.
लड़कियों पर बढ़ती बंदिशें
दिल्ली की सड़कों पर आपराधिक सोच वाले लोगों पर अंकुश तो नहीं लग पाया, पर दिल्ली एनसीआर में अब बाहर निकलने वाली लड़कियों पर परिवार की तरफ से बंदिशें लगने लगी हैं. नोएडा से रोज दिल्ली यूनिवर्सिटी पढ़ने आने वाली लड़कियां कहती हैं कि बसों में तो सफर करना बहुत ही बुरा अनुभव है, चाहे दिल्ली हो या नोएडा सब जगह वही हाल है। अब तो मेरे माता-पिता बेहद परेशान हैं। घर लौटने का समय बांध दिया है। 6 बजे से देर होती है तो उनकी चिंता बढ़ जाती है। अब तो दोस्तों के साथ कहीं जाना भी बंद हो गया है।
परिवार खुद अपराधों के खिलाफ आवाज नहीं उठाते
इन आंकड़ों को देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि दिल्ली लड़कियों के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं है. सरकार और प्रशासन न तो अपराध रोकने में कामयाब हो पाई और ना ही अपराधियों को। अब रोक-टोक का सामना महिलाओं को करना पड़ रहा है।
गुरुग्राम के सरकारी महिला महाविद्यालय में बीकॉम की छात्रा पायल का कहना है कि मैं मालवीय नगर से गुरुग्राम आती हूं। क्योंकि मुझे डीयू में एडमिशन नहीं मिल सका। खैर डीयू में भी मिलता तो भी हालात हमारे लिए ज्यादा नहीं बदलते क्योंकि अब दिल्ली रेप और क्राइम कैपिटल बन चुकी है। मुझे रोज घर से निकलते के साथ लड़कों के कमेंट सुनने को मिलते हैं। पर परिवार वाले कहते हैं, जवाब मत दिया करो। आखिर ऐसा क्यों है, क्यों हम ही सब कुछ सहें। दिल्ली एनसीआर की लड़कियों में जहां बढ़ते अपराध को लेकर दुख है, तो वहीं मन में गुस्सा भी है कि उन्हें अपराधियों से बचाने के लिए घरों में कैद करना कहां तक सही है।
लड़कियों की इज्जत करना सिखाना होगा
गुरुग्राम के सरकारी महिला महाविद्यालय की प्रिंसिपल का मानना है कि महिलाओं के प्रति अपराध पर अंकुश तभी लगेगा, जब हर मां अपने बेटे को घर से ही लड़कियों की इज्जत करने की शिक्षा देना शुरू कर दे. लड़कियों की आजादी को रोकने से समाधान नहीं निकलेगा, हालात और खराब हो जाएंगे।