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Decisions For Yourself: खुद के लिए फैसले लेना क्यों शुरू करें महिलाएं

भारतीय घरों में ज्यादातर फैसले पुरुषों के द्वारा ही लिए जाते हैं जिसके कारण बहुत सारी महिलाएं खुद के लिए फैसले ले ही नहीं पाती हैं क्योंकि उनके अंदर वह कॉन्फिडेंस होता ही नहीं है।

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Rajveer Kaur
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Image Credit: Freepik

Why Should Women Start Taking Decisions For Yourself: भारतीय घरों में ज्यादातर फैसले पुरुषों के द्वारा ही लिए जाते हैं जिसके कारण बहुत सारी महिलाएं खुद के लिए फैसले ले ही नहीं पाती हैं क्योंकि उनके अंदर वह कॉन्फिडेंस होता ही नहीं है। हम हमेशा ही उनको कम समझते हैं और हमें लगता है कि शायद वे इतनी काबिल नहीं हैं कि एक फैसला ले सकें। हमारा सामाजिक ढांचा भी ऐसा है जहां पर महिलाओं को इतना एक्सप्लोर करने ही नहीं दिया जाता है। उनका हर काम पुरुषों की तरफ से ही किया जाता है जिस कारण वो उन पर पूरी तरह से निर्भर हो जाती हैं। बहुत बार ऐसा भी होता है कि महिला पढ़ी-लिखी होने के बावजूद भी अपने फैसलों के लिए अपने पति या पिता पर निर्भर होती है लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। आज हम जानेंगे कि क्यों महिलाओं को अपने फैसले खुद लेने चाहिए-

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खुद के लिए फैसले लेना क्यों शुरू करें महिलाएं

ऑटोनॉमी

हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां पर पुरुषों का बोलबाला है और महिलाएं सिर्फ इसका एक हिस्सा है और उनके पास ज्यादा अधिकार नहीं हैं। वहीं जब हम महिलाओं को आजादी देंगे तो उन्हें ऑटोनॉमी मिलेगी। इससे वह अपने फैसले खुद ले सकती हैं कि उन्हें जीवन में क्या करना है, क्या पहनना है, क्या खाना है, कब बाहर जाना है, किस से मिलना है, कब शादी करनी है और बच्चे करने हैं या नहीं। आमतौर यह फैसले परिवार वाले या फिर पति की तरफ से लिए जाते हैं लेकिन अपने फैसले लेने से उन्हें ऑटोनॉमी मिलेगी और उनके जीवन पर किसी और का अधिकार नहीं होगा।

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बराबरी

यह कहना झूठ है कि महिलाओं और पुरुषों में बराबरी है। महिला और पुरुष को कभी भी एक नजरिए से नहीं देखा गया है। हमेशा महिलाओं को कमजोर ही समझा गया है। इस बात में कोई शक नहीं है कि यह दोनों बायोलॉजिकली डिफरेंट होते हैं लेकिन इसके कारण महिलाओं को अयोग्य समझना या फिर उन्हें नीचा दिखाना बिल्कुल भी सही नहीं है। हम महिलाओं को हर चीज में पुरुषों से कम समझते हैं। हमें लगता है कि वह फाइनेंशियल डिसीजन अच्छे तरह नहीं ले सकती हैं और ड्राइविंग नहीं कर सकती हैं ना वो अकेले घर खर्च उठा सकती हैं। हम हमेशा ही उन्हें कम देखते हैं, जिस कारण हम कभी उन्हें अपने लिए फैसले लेने ही नहीं देते हैं।

खुद को व्यक्त करना 

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अगर महिलाएं अपने फैसले खुद लेने लगेगी तो वह अपने आप को व्यक्त कर पाएंगी कि उन्हें क्या अच्छा लगता है या फिर वह अपनी जिंदगी को कैसे व्यतीत करना चाहती हैं। उन्हें किसी की गुलामी नहीं करनी पड़ेगी। वह अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी को जी सकती हैं जो कि बहुत अच्छी चीज है। हर महिला अपने जीवन में आजादी चाहती है लेकिन बहुत काम मइसे अचीव कर पाती हैं। अगर आप अपनी जिंदगी में अपने फैसले खुद ले रही हैं तो आप आजाद हैं. इसलिए आप आज ही छोटे-छोटे कामों से अपने फैसले लेने शुरू करें। शुरुआत में फैसला गलत हो सकता है लेकिन अनुभव आने से आप अपने लिए सही फैसला ले सकती हैं।

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