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क्यों महिलाएं Toxic Relationship से बाहर नहीं आ पाती हैं

यह बहुत गंभीर बात है परंतु उससे भी गंभीर बात यह है कि हमारे देश में अधिकतर महिलाएं ऐसे सवालों और जवाबों से जूझ रही है। आइए समझते हैं क्यों नहीं आ पाती महिलाएं टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर, इस ब्लॉग के जरिए

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Aastha Dhillon
23 Dec 2022
क्यों महिलाएं Toxic Relationship से बाहर नहीं आ पाती हैं

Toxic relationships

Toxic Relationships: आफताब पूनावाला के साथ अपने टॉक्सिक संबंधों में श्रद्धा वाकर की मृत्यु की बात से उभरने के बाद कई लोग यही सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों नहीं आ पाती महिलाएं टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर? 

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उत्तर जटिल है - अक्सर एक महिला को यह प्रतीत हो सकता है कि छोड़ने की लागत दुर्व्यवहार को जारी रखने से भी बदतर हो सकती है। वैसे तो यह बहुत गंभीर बात है परंतु उससे भी गंभीर बात यह है कि हमारे देश में अधिकतर महिलाएं ऐसे सवालों और जवाबों से जूझ रही है। आइए समझते हैं क्यों नहीं आ पाती महिलाएं टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर, इस ब्लॉग के जरिए

आखिर कौन से कारण है रोकते हैं महिलाओं टॉक्सिक रिलेशन से बाहर आने के लिए

1.वित्तीय निर्भरता(Financial Dependency)

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NFHS की रिपोर्ट के अनुसार , केवल 32% विवाहित महिलाएँ ही workforce में हैं। जिससे ज्यादातर शादीशुदा महिलाएं आर्थिक रूप से अपने पति पर निर्भर हो जाती हैं। उन्हें यह बात सताती है कि अगर वे अपने पति को छोड़ देती हैं तो अपना पेट कैसे पाल पाएंगी और रोजमर्रा की चीज़ों का खर्च कैसे उठा पाएंगी।

2. पितृसत्तात्मक समाज(Patriarchal Society)

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हमारे जैसे पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं को घर का काम करना, सेवा करना, सहन करना, समझौता करना और पालन-पोषण करना सिखाया जाता है। शादी को अभी भी महिलाओं के जीवन के लक्ष्य के रूप में देखा जाता है, और एक अकेली महिला को कलंकित समझा जाता है। महिलाएं बचपन से ही आदर्श पत्नी, आदर्श मां और आदर्श बहू बनने के लिए तैयार हो जाती हैं और इसी कारण वह टॉक्सिक रिलेशनशिप को भी नॉर्मलाइज कर बैठती है।

3. क्या नहीं है आर्थिक रूप से स्वतंत्रता काफी?

महिलाएं पेशेवर रूप से कितनी भी सफल हों और अकेले ही वे काम और पालन-पोषण में कैसे भी संभालती हो, महिलाओं को पति के बिना "विफलताओं" के रूप में ब्रांडेड किया जाता है। अगर किसी रिश्ते से बाहर निकलने के बाद महिलाओं के लिए सामान्य जीवन जीना मुश्किल हो जाता है और इसी कारण दमघोंटू वातावरण में उन्हें जीना पड़ता है।

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4.सामाजिक कलंक(Social Stigma)

हमारे समाज में एक तलाकशुदा महिला या सिंगल मदर होना आसान नहीं है। वे अपने स्वयं के परिवार द्वारा, अपने कार्यस्थल पर, अपने बच्चों के स्कूल में, अपने पड़ोस में शादियों में चर्चा का विषय बन जाती है। अगर कोई पुरुष उनके घर पर आता दिखाई देता है तो समाज वाले उसे गलत नामों से पुकारते हैं। इन सब से बचने के कारण महिला के लिए टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर जाना काफी मुश्किल हो जाता है।

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5. पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आ रहा दुर्व्यवहार 

काफी बच्चों के लिए दुर्व्यवहार और toxicity रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन जाता हैं। माता-पिता या तो एक-दूसरे के प्रति अपमानजनक रहे होते हैं या वे बच्चों के प्रति अपमानजनक हैं। जो बच्चे जहरीले वातावरण में पले-बढ़े हैं वे वयस्क(adult) हो जाते हैं लेकिन उनके मन से दुर्व्यवहार रिश्तों नहीं निकल पाते हैं। आखिरकार वो दुर्व्यवहार को प्यार से भ्रमित करते हैं और इसके विरुद्ध अपनी आवाज तक नहीं उठाते।

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