Women safety laws in India : भारत एक ऐसा देश है जो अपनी सुंदर संस्कृति और परंपरा के लिए जाना जाता है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को माता लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को देखकर यह कहना गलत नही होगा की महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है। जैसा कि हम देख सकते हैं कि भारत में हर मिनट महिलाओं के खिलाफ अपराध होते हैं। आपको अक्सर हर रोज सुनने को मिल जायेगा की आज एक लड़की, एक औरत, या फिर एक छोटी बच्ची किसी अपराध का शिकार हो गई। उसके साथ रास्ते में किसी ने छेड़खानी करी, उसका रेप हो गया, उसपे किसी ने एसिड फेक दिया इस तरह की खबर हर रोज आपको अखबार या फिर न्यूज में देखने को मिलेगी।
सड़कें, सार्वजनिक परिवहन, सार्वजनिक स्थान कही पर भी आज महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। महिलाओं के खिलाफ कुछ सामान्य अपराध हैं: बलात्कार, दहेज हत्या, घर या वर्कपेल्स पर सेक्सुअल हैरेसमेंट,और अपहरण, पति, रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता, महिला पर हमला, बच्चे और यौन संबंध, ट्रैफिकिंग, हमला, बाल विवाह और कई अन्य। इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए भारत के संविधान ने कुछ ऐसे कानून प्रदान किए हैं जो महिलाओं की सुरक्षा के लिए कार्य करते हैं। और हम सभी महिलाओं की जिम्मेदारी है की हम उन कानून के बारे में जाने और अपनी सुरक्षा खुद कर सकें।
क्या हैं भारत में महिला सुरक्षा कानून ?
दहेज निषेध अधिनियम,1961 (Dowry Prohibition Act)
हमारे देश में ऐसे कई घटनाएं हुई है जहां दहेज की वजह से लड़की को ससुराल में मार दिया जाता है।दहेज निषेध अधिनियम,1961 दहेज प्रथा पर रोक लगाता है। इस एक्ट के अनुसार जो व्यक्ति दहेज लेते या देते हुए पकड़ा गया उसे 5 साल की सजा,15000 रुपए जुर्माना और लिए हुए दहेज के पैसे लौटाने होंगे।
अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम,1956 (The Immoral Traffic Act)
इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट का उद्देश्य महिलाओं की तस्करी यानी ट्रैफिकिंग को रोकना है। यह 9 मई 1950 को प्रभाव में आया। इस एक्ट के अनुसार आप किसी भी महिला को जबरजस्ती सेक्स वर्कर नही बना सकते। ऐसा करते हुए पाए जाने पर 3 साल की सजा और 7000 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा।
घरेलू हिंसा से महिलाओं का बचाव, 2005 (The Protection of Women from Domestic Violence)
हम हर दिन अपने आस पास, अपने घरों में महिलाओं को घरेलू हिंसा का शिकार होते हुए देखते हैं। घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम 2005, जो महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए बनाया गया है।
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (The Sexual Importunity of Women at Plant)
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की समस्या को खत्म करने के लिए,कार्यस्थल पर महिलाओं का सेक्सुअल हैरेसमेंट प्रोहिबिशन एक्ट, 2013 लागू किया है। इस एक्ट में साफ साफ शब्दों में लिखा गया है कि ‘किसी भी महिला को किसी भी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का शिकार नहीं बनाया जाएगा।’
Disclaimer: इस प्लेटफार्म पर दी गई सूचना सिर्फ आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा कोई कानूनी निर्णय लेने से पहले किसी वकील से जरूर सहमति ले।