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Women Issues: देश ही नहीं विदेशों में भी महिलाओं के बहुत से ऐसे मुद्दे हैं जिनपर ग़ौर करना विश्व की पहली ज़िम्मेदारी है। देश-विदेश की सरकारें समय-समय पर महिलाओं से संबंधित कानूनों और हितों पर बात करती हैं, उन्हें सुधारती भी हैं, पर आज भी कुछ मुद्दे हैं जो ख़त्म नहीं हो रहे हैं। यहां पर उन मुद्दों पर बात करते हैं जो हर महिला के मुंह पर आज भी हैं :-
- नौकरी : नौकरी में अभी भी महिलाएं वो स्थान नहीं बना पाईं हैं, जो उन्हें बनाना चाहिए। अगर नौकरी मिलती है तो बराबर का वेतन उन्हें आज भी नहीं मिलता। ऐसे में ज़रूरी है इस मुद्दे का निस्तारण हो।
- घरेलू हिंसा : आज भी महिलाओं के ऊपर हो रही घरेलू हिंसा की घटनाएं थम नहीं रही है। गांव ही नहीं शहरों में भी घरेलू हिंसाओं से जुड़े मामले रुके नहीं हैं।
- सुरक्षा : महिलाओं को अभी भी वो सुरक्षा हासिल नहीं हो पाई है जो उन्हें मिलनी चाहिए। देश की क़ानून व्यवस्था कुछ ऐसी है कि महिलाओं पर अत्याचार रुक नहीं रहा।
- बराबरी : घर पर ही महिलाओं और पुरुषों को बराबरी से नहीं देखा जाता। ये सबसे बड़ी देश की कमज़ोरी है। जब घर से शुरुआत होगी तो समाज में परिवर्तन आएगा।
- शिक्षा : आज भी महिलाएं आगे की पढ़ाई चालू करने में असमर्थ हैं। जल्दी शादी या आर्थिक रूप से कमज़ोर होना महिलाओं की शिक्षा पर बाधा बन रहा है।
- पोषण : सम्पूर्ण पोषक तत्वों का न मिलना, महिलाओं की स्थितियों को बदतर बनाता जा रहा है। शिशुजनित महिलाएं पोषण से रहित हैं जो न केवल उनके बच्चों के लिए ख़तरा है बल्कि उनके अस्तित्व को भी संकट में डाल रहा है।
- फ़िल्म : फ़िल्म उद्योग में भी ये एक बड़ा मुद्दा है कि महिलाओं के उम्रदराज़ हो जाने पर उन्हें लीड रोल में नहीं लिया जाता। उन्हें दादी या अन्य रोल दे दिए जाते हैं। ऐसे ही फ़िल्मों में हीरो अगर उम्रदराज़ होता है तो हीरोईन छोटी उम्र की भी चल जाती है।
- सुविधाएं : सुविधाओं के नाम पर आज महिलाओं के लिए किया तो बहुत जा रहा है, पर आज भी रिज़र्वेशन, पिंक टॉयलेस्ट्स, पिंक बस आदि सेवाओं में स्थिति कुछ भिन्न ही है।
- स्वास्थ्य : महिला स्वास्थ्य आज भी बहुत पीछे है। महिलाएं आज भी अपनी परेशानी बताने में झिझकती हैं या उनका उपचार टाल देती हैं। इससे समस्या और गंभीर बन जाती है।
इस तरह अनेकों ऐसे मुद्दे हैं जो दिखा रहे हैं कि महिलाओं के मुद्दे सुलझने के स्थान पर बिगड़ते जा रहे हैं। ज़रूरी है कि एकजुट होकर सरकार, समाज, एनजीओ आगे आएं और इन मुद्दों को दूर करने का प्रयास करें।