क्या महिलाएँ जॉब सिर्फ़ आर्थिक आज़ादी के लिए करती है?

आर्थिक आजादी जॉब का एक हिस्सा है- जॉब या करियर महिलाओं को सिर्फ आर्थिक आजादी ही नही देता है। इसके साथ महिलाएं अपना ओपिनियन रख सकती ही। इससे दुनिया तक उसकी आवाज पहुंचा सकती है।

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Rajveer Kaur
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Financial-independence (Image Credit:- Protium)

आज की महिला घर के साथ जॉब या अपना करियर भी साथ-साथ कर रही है। इसके साथ उसकी जिम्मेदारियां भी बढ़ है जैसे करियर के साथ फैमिली अगर पेरेंट्स है तो बच्चे भी। इससे महिला की मुश्किलें बड़ी ही है। सवाल यह है कि क्या जॉब से महिला को सिर्फ  आर्थिक आजादी मिलती है? आज इस टॉपिक पर ही बात करेगें -

क्या महिलाएँ जॉब सिर्फ़ आर्थिक आज़ादी के लिए करती है?

आर्थिक आजादी जॉब का एक हिस्सा है-

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आर्थिक आजादी जॉब का एक हिस्सा है- जॉब या करियर महिलाओं को सिर्फ आर्थिक आजादी ही नही देता है। इसके साथ महिलाएं अपना ओपिनियन रख सकती ही। इससे दुनिया तक उसकी आवाज पहुंचा सकती है। सबसे बड़ी बात अपने हिसाब से जिंदगी जी सकती है। महिलाओं  के लिए जॉब कोई छोटी बात नहीं होती क्योंकि समाज से लड़कर उन्हे जॉब का मौका मिलता है। इस  मर्द प्रधान समाज में आज भी महिला को करियर की लिए बहुत लड़ाइयां  लड़नी पड़ती है। आज हम जितनी भी महिलाएं देख रहे चाहे वे किसी भी क्षेत्र में हो उनके पीछे इस मर्द प्रधान समाज से लड़ाई है।

आत्म निर्भर:- जब एक महिला नौकरी करती है वह आर्थिक आजादी के साथ आत्म - निर्भर भी बनती है। इससे  महिला अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से जी सकती है। इससे उन्हे किसी की इज्जत लेने की जरूरत नहीं है कई बार ऐसा भी होता महिलाएं आर्थिक आजाद तो होती है लेकिन वे आत्म निर्भर नहीं होता है इसका कारण है कि वह अभी मर्द प्रधानता के अधीन है।

निर्णय लेने की शक्ति:- इसके साथ  महिलाओं को निर्णय लेने का अधिकार मिलता है। महिलाएं अपने फैसले खुद कर सकती है।

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अधिकारिता:- महिलाओं को जॉब के साथ अधिकारिता भी आती है। इसके साथ औरतें अपने फैसले ले सकती है। उन्हे किसी से पूछने की जरूरत होती है नहीं तो महिलाएं कभी पिता तो कभी भाई के ऊपर पैसों या अपने फैसलों के लिए निर्भर होती है।

एक  महिला जब जॉब या करियर में आगे बड़ती है तब उसका सिर्फ़ आर्थिक ही नहीं मानसिक विकास भी होता है। इसलिए कभी भी यह नहीं समझना चाहिए कि महिला सिर्फ़ आर्थिक आज़ादी के लिए जॉब करती है। इससे महिलाएँ हर क्षेत्र में ताक़तवर बनती है। इसके साथ वे अपने साथ हो रहे जुर्म के विरुद आवाज़ भी उठाती है।

इसलिए कभी भी आप औरतों को जॉब करने के मत रोकें उन्हें हमेशा ही उनके सपने पूरे करने के प्रोत्साहित करें। एक महिला का इस मर्द प्रधान समाज में उठकर नाम बनाना कोई बात नहीं होती क्यूँकि उसे हर मोड़ और रास्ते में एक चुनौती का सामना करना पड़ता है।