आज का समय ऐसा है महिला और पुरुष दोनों कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं। आज औरतें हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। इसके साथ ही अगर हम बात करें वर्कप्लेस की वहां पर औरतों के बारे में बहुत सारी मिथ्स बनी हुई है जिन के बारे में आज हम बात करेंगे। आज की औरत जहां घर संभाल रही है वहां घर से बाहर जाकर ऑफिस में भी काम कर रही है। इसके साथ बच्चे, पति और परिवार इन सब को भी देख रही है लेकिन इन सबके बावजूद भी औरत को मर्द से नीचे ही माना जाता है। वर्कप्लेस पर भी उसके साथ वैसा बर्ताव नहीं होता जैसा होना चाहिए तो आज हम इन सब चीजों के बारे में बात करेंगे-
Workplace Myths: जाने वर्क प्लेस पर औरतों से जुड़ी यह पांच मिथ्स
एक औरत दूसरी औरत का ‘सपोर्ट’ नहीं करती
यह बात हमेशा कही जाती है कि एक वर्कप्लेस पर एक औरत दूसरी औरत का सपोर्ट नहीं करती वह उसे आगे नहीं देना चाहती लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। हमेशा ही समाज में और औरत का दुश्मन माना जाता रहा है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। एक औरत जितना दूसरी औरत का जोक समझ सकती हैं या उसकी कठिनाइयां समझ सकती है उतना और कोई नही।
बच्चे के बाद ‘काम’ नहीं कर सकती
वर्कप्लेस पर यह भी समझ ले जाता है कि एक बार जब मां बन जाती है तो शायद वह उसके बाद काम नहीं कर सकती लेकिन ऐसा कभी पुरुष के लिए नहीं सोचा जाता है। यह बात सिर्फ औरतों पर ही अप्लाई की जाती है ।एक बच्चा होने का मतलब यह नहीं है कि औरत के अंदर करियर को लेकर चाहत ही नहीं रही है। यह बिल्कुल एक मिथ है औरतें इतनी स्ट्रॉन्ग होती है कि वह बच्चे के बाद शादी के बाद जब मर्जी अगर काम कर सकती हैं।
अच्छी ‘लीडर’ नहीं होती
यह वर्कप्लेस पर औरतों से जुड़ी एक और मिथ है कि आरती अच्छे लीडर नहीं होती उन्हें अच्छे से टीम को लीड नहीं करना आता। वे सिर्फ हुकुम चलाती हैं।
औरतें ‘एंबिशियस’ नहीं होती
यह भी वर्कप्लेस में औरतों के लिए बड़ा मिथ है कि औरतें एंबिशियस नहीं होती है। हमारे समाज में शुरू से औरतों के बाहर निकले निकलने पर रोक लगा दी जाती थी। उन्हें आगे पढ़ने नहीं जाता था और न ही काम करने दिया जाता था। जब औरतें घर से बाहर जाकर काम कर रही हैं तब भी उन्हें कहा जाता है कि वह एंबिशियस नहीं होती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। अभी एंबिशियस होना या ना होना जेंडर पर नहीं निर्भर नहीं करता यह किसी व्यक्ति की सोच और उसके जज्बे पर निर्भर करता है।