30 Years of DDLJ: जब एक फिल्म इमोशन बन गई

जिस दौर में हिंदी सिनेमा की हर लव स्टोरी या तो सैक्रिफाइस पर खत्म होती थीं या सामाजिक बंधनों में उलझ जाती थीं, वहीं DDLJ ने प्यार को एक नई पहचान दी, जहाँ प्रेम और परिवार दोनों साथ चल सकते हैं।

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Deepika Aartthiya
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Photograph: (Pinterest via Brand Whiz)

कुछ फिल्में सिर्फ देखी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। उन्हीं में से एक मूवी है 1995 में रिलीज़ हुई DDLJ यानि “Dilwale Dulhania Le Jayenge”। जब ये मूवी थिएटर्स में आई थी, तब शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि ये सिर्फ रोमांस तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि भारतीय सिनेमा का एक कल्चरल सिंबल बन जाएगी। ये एक ऐसा सिनेमैटिक एक्सपीरियंस था जिसने भारतीय रोमांस की परिभाषा हमेशा के लिए बदल दी। यही वजह है कि ये मूवी आज भी लाखों लोगों के दिलों पर राज़ कर रही है।

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30 Years of DDLJ: जब एक फिल्म इमोशन बन गई

जिस दौर में हिंदी सिनेमा की हर लव स्टोरी या तो सैक्रिफाइस पर खत्म होती थीं या सामाजिक बंधनों में उलझ जाती थीं, वहीं DDLJ ने प्यार को एक नई पहचान दी, जहाँ प्रेम और परिवार दोनों साथ चल सकते हैं।

एक्ट्रेस काजोल ने शेयर की अपनी फीलिंग्स

DDLJ के 30 साल पूरे होने पर मूवी एक्ट्रेस काजोल ने सोशल मीडिया पर अपनी फीलिंग्स शेयर करते हुए कहा, “DDLJ ने आज 30 साल पूरे कर लिए हैं, लेकिन जिस तरह से ये दुनिया भर में और सबके दिलों-दिमाग में छा गई है, उसकी गिनती नहीं की जा सकती। इसे इस अद्भुत तरीके से पसंद करने के लिए आप सभी का शुक्रिया!”

काजोल ने मूवी पोस्टर के साथ ही एक और फोटो शेयर की, जो स्विट्जरलैंड के इंटरलेकन की थी। एक मजेदार बात भी लिखी थी, “शाहरुख ने कहा काजोल के कान में, चलो बर्गर शर्गर खाने चलते हैं शर्मा जी की दुकान में।”

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90 का दशक और बदलता प्यार का अंदाज़

90 का दशक वो समय था जब लोग बदलाव की ओर बढ़ रहे थे। एक तरफ मॉडर्न सोच, दूसरी तरफ घर-परिवार की जड़ें। DDLJ ने इन दोनों के बीच पुल का काम किया। राज और सिमरन सिर्फ फिल्म के किरदार नहीं थे, बल्कि उस पीढ़ी की आवाज़ बन गए जो अपने दिल की भी सुनना चाहती थी और अपने माता-पिता की भी इज़्ज़त रखती थी।

राज और सिमरन की जर्नी

शाहरुख़ का चार्म और काजोल की सादगी ने राज और सिमरन को ऐसा बना दिया कि हर किसी को उनमें अपनी कहानी दिखी। यूरोप की सड़कों से लेकर पंजाब के खेतों तक, ये सफर सिर्फ दो लोगों का नहीं था, बल्कि उन सबका था जिन्होंने कभी किसी को दिल से चाहा। ट्रेन की आख़िरी सीट पर सिमरन का हाथ पकड़ना आज भी सिनेमा के सबसे खूबसूरत लम्हों में से एक है।

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एक फिल्म, जो याद बन गई

तीस साल बाद भी जब DDLJ टीवी पर आती है, तो लोग चैनल नहीं बदलते, क्योंकि ये सिर्फ मूवी नहीं, एक एहसास है। उसके गाने, डायलॉग्स और वो खेतों वाला सीन आज भी दिल को उसी तरह छू जाता है। ये वही फिल्म है जिसने सिखाया कि प्यार सिर्फ बग़ावत नहीं, समझ और सम्मान भी है।

तीन दशक बाद भी बरकरार है वही मैजिक

आज की तेज़ दुनिया में भी DDLJ हमें थम कर महसूस करना सिखाती है कि सच्चा प्यार वक्त से नहीं बदलता। इस फिल्म ने सिर्फ सिनेमा नहीं, बल्कि लोगों की सोच को भी बदल दिया। शायद इसलिए, 30 साल बाद भी DDLJ सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक इमोशन है, जो हर बार देखने पर दिल में वही पुराना जादू वापस ले आती है।

30 Dilwale Dulhania Le Jayenge DDLJ Bollywood