Romance vs. Reality: बॉलीवुड ने प्यार की जो परिभाषा दी, क्या वो नुकसानदेह है

Romance vs. Reality: बॉलीवुड, यानी हमारी फिल्म इंडस्ट्री, सिर्फ टाइम पास का तरीका नहीं है, बल्कि ये हमारे सोचने और महसूस करने के अंदाज़ को भी बहुत हद तक बदल देती है।

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Tamnna Vats
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Know about Bollywood famous love affair

Is the definition of love given by Bollywood harmful?: बॉलीवुड, यानी हमारी फिल्म इंडस्ट्री, सिर्फ टाइम पास का तरीका नहीं है, बल्कि ये हमारे सोचने और महसूस करने के अंदाज़ को भी बहुत हद तक बदल देती है। जब बात प्यार और रिश्तों की आती है, तो फिल्मों में ऐसा दिखाया जाता है कि सच्चा प्यार पाने के लिए इंसान कुछ भी कर सकता है। प्यार में दीवानगी जरूरी होती है, और अगर किसी से सच्चा प्यार हो जाए तो उसके लिए दुख, दर्द और बलिदान भी जरूरी माना जाता है।

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Romance vs. Reality: बॉलीवुड ने प्यार की जो परिभाषा दी, क्या वो नुकसानदेह है?

फिल्मों से बनी गलत तस्वीर और असल जिंदगी में फर्क है 

बॉलीवुड की फिल्मों में कई बार ऐसा दिखाते हैं, कि अगर आप किसी से दिल से प्यार करते हो, तो वो एक दिन जरूर वापस लौट आता है। फिल्मों में जब लड़की "ना" कहती है, तो कई बार उसे "हाँ" समझ लिया जाता है। इससे ये गलत सोच बनती है कि जबरदस्ती प्यार जताना या पीछा करना भी इश्क का हिस्सा है। जबकि असली जिंदगी में ऐसा करना गलत होता है और कई बार ये परेशान करने वाला या जुर्म भी बन सकता है।

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फिल्मों में ऐसा दिखाया जाता है कि प्यार पाने के लिए अपनी पहचान भूल जाना, बार-बार माफ करना और बेइज्जती सह लेना भी ठीक है। लेकिन सच्चे और अच्छे रिश्ते की असली पहचान होती है कि दोनों एक-दूसरे की इज्जत करें, एक-दूसरे को समझें और अपनी हदें जानें।

कुछ फिल्मों ने दिखाया प्यार का असली मतलब

हर बॉलीवुड फिल्म प्यार को गलत तरीके से नहीं दिखाती। कुछ नई फिल्मों ने प्यार और रिश्तों को बहुत सच्चाई और समझ के साथ दिखाया है। जैसे "थप्पड़", "गहराइयाँ" और "रॉकस्टार" जैसी फिल्मों में प्यार का दर्द, खुद को पहचानना और रिश्तों की हदें अच्छे से दिखाई गई हैं। लेकिन ऐसी फिल्में अभी भी कम बनती हैं और ज़्यादा चल नहीं पातीं।

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फिल्मों की झूठी उम्मीदों में उलझती नई पीढ़ी

आज की पीढ़ी जो सोशल मीडिया और मोबाइल पर बड़ी हो रही है, उसके लिए प्यार का मतलब ज़्यादातर फिल्मों से बनता है। उन्हें लगता है कि उनका रिश्ता भी "DDLJ", "कभी खुशी कभी ग़म" या "आशिकी 2" जैसा होगा, जहां हीरो हर हालत में लड़की को पा ही लेता है और सब कुछ अच्छा हो जाता है। लेकिन असली जिंदगी में रिश्ते इतने आसान नहीं होते। जब हकीकत फिल्म जैसी नहीं होती, तो कई बार युवाओं को दिल टूटने, उदासी और खुद पर भरोसा कम होने जैसी परेशानियाँ होने लगती हैं।

Reel और reality में फर्क़ है, ये जानना जरूरी है 

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प्यार एक अच्छा और खास एहसास होता है, लेकिन उसे समझदारी से निभाना बहुत जरूरी है। बॉलीवुड फिल्मों ने प्यार को एक तरफ बहुत खूबसूरत दिखाया है, लेकिन कई बार ऐसे रिश्ते भी दिखाए हैं जो ठीक नहीं होते, फिर भी उन्हें सच्चा प्यार कह दिया जाता है। इसलिए हमें फिल्मों को सिर्फ टाइम पास के लिए देखना चाहिए, जिंदगी का सच मानकर नहीं। असली प्यार फिल्मों जैसा नहीं होता, उसके लिए समय देना होता है, भरोसा, समझ और इज्जत सबसे जरूरी होती है।

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