पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी छाप छोड़ी है। यह फिल्म अब 2025 के EE BAFTA फिल्म अवार्ड्स में बेस्ट फिल्म नॉट इन द इंग्लिश लैंग्वेज श्रेणी में नामांकित हुई है। यह उपलब्धि भारतीय सिनेमा के लिए गर्व का क्षण है। आइए इस लेख में जानते हैं इस फिल्म, इसके सफर, और इसकी निर्देशक पायल कपाड़िया के बारे में।
BAFTA में नामांकन और प्रतियोगिता
BAFTA फिल्म अवार्ड्स 2025 में, ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट को बेस्ट फिल्म नॉट इन द इंग्लिश लैंग्वेज श्रेणी में नामांकन मिला। हालांकि, इसे तीन श्रेणियों—बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट ओरिजिनल स्क्रीनप्ले और बेस्ट फिल्म नॉट इन द इंग्लिश लैंग्वेज में लॉन्गलिस्ट किया गया था, लेकिन अंतिम नामांकन केवल एक श्रेणी में हुआ।
यह फिल्म एमिलिया पेरेज़, द सीड ऑफ द सेक्रेड फिग, आई एम स्टिल हियर, और नीकैप जैसी फिल्मों के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी। BAFTA फिल्म अवार्ड्स का आयोजन 16 फरवरी को होगा, जिसे भारत में लायंसगेट प्ले पर लाइव स्ट्रीम किया जाएगा।
पायल कपाड़िया ने रचा इतिहास: गोल्डन ग्लोब्स में नामांकित होने वाली पहली भारतीय महिला
पायल कपाड़िया और उनकी फिल्म: एक झलक
All We Imagine As Light मुंबई में काम कर रहीं तीन नर्सों की जिंदगी को दर्शाती है। फिल्म में उनकी दोस्ती, संघर्ष और आत्म-संदर्भों की गहरी झलक है। फिल्म में कनी कुश्रुति, दिव्या प्रभा, छाया कदम और ह्रिदु हारून मुख्य भूमिकाओं में हैं।
अपने एक साक्षात्कार में पायल ने बताया, "हमारी संस्कृति महिलाओं को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करती है। लेकिन मेरी फिल्म इस सोच को चुनौती देती है और दिखाती है कि महिलाएं एक-दूसरे की सबसे बड़ी ताकत बन सकती हैं।"
उन्होंने यह भी कहा, "फिल्म उम्मीद की बात करती है। यह दिखाती है कि मतभेदों के बावजूद कैसे महिलाएं एक साथ खड़ी हो सकती हैं और सह-अस्तित्व में रह सकती हैं।"
विद्रोही छात्रा से इतिहास रचने तक का सफर
पायल कपाड़िया पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) की छात्रा रह चुकी हैं। उन्होंने 2015 में संस्थान में हुई ऐतिहासिक 139 दिनों की हड़ताल में हिस्सा लिया था।
FTII के चेयरमैन के रूप में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का छात्रों ने विरोध किया, जिसे संस्थान के "भगवाकरण" का प्रयास माना गया। पायल उस विरोध प्रदर्शन का एक महत्वपूर्ण चेहरा थीं।
हालांकि, इस प्रदर्शन ने उनके शैक्षिक सफर को बाधित किया। लेकिन 2017 में उनकी शॉर्ट फिल्म Afternoon Clouds को कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया। बिना संस्थान के आर्थिक सहयोग के बावजूद पायल ने यह उपलब्धि हासिल की।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
2017 में गजेंद्र चौहान का कार्यकाल समाप्त हुआ। FTII ने पायल के Cannes यात्रा के लिए फंड दिया। इसके चार साल बाद, 2021 में गोल्डन आई अवार्ड के साथ उनकी यात्रा ने मुकाम हासिल किया।
पायल कपाड़िया की यह ऐतिहासिक उपलब्धि भारतीय सिनेमा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर है। उनकी प्रेरणादायक यात्रा यह साबित करती है कि संघर्ष और दृढ़ता से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।