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Covid-19 और menstrual health : इस कोरोना महामारी ने भारत को आर्थिक, सामाजिक और मानसिक ,सभी प्रकार से प्रभावित किया हैं। औरतों को इस COVID-19 के दौर में कई प्रॉब्लम्स का सामना कर पड़ रहा हैं। उन पर घर के कामों का बोझ और मेन्टल प्रेशर तो बढ़ा ही हैं , जिस वजह से उनकी menstrual health भी काफ़ी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। किसी महिला को टाइम से पहले पीरियड्स हो रहे है तो किसी को बहुत ही देर से। मूड स्विंग्स का बढ़ना , प्रॉपर फैसिलिटी न मिलना जैसी कई समस्याएं हैं।
Covid-19 और menstrual health सिचुएशन :
इर्रेगुलर पीरियड्स
COVID-19 के समय में ज़्यादातर महिलाओं को इर्रेगुलर पीरियड्स का सामना करना पड़ा है , उन्हें period blood clotting , premenstrual syndrome (PMS) जैसी समस्या से जूझना पड़ रहा हैं। वो महिलाये जिन्हे कोरोना हुआ था उनका menstrual cycle पूरी तरह से चेंज हो गया हैं। एक महिला कोविड सर्वाइवर ने बताया कि " मैं 2 हफ्ते से कोरोना से लड़ रही हूँ , मुझे इस वक़्त तक पीरियड्स आ जाने चाहिए लेकिन अब तक आये नहीं हैं। 8 महीने में मुझे सिर्फ़ 5 बार पीरियड्स हुए हैं। "
लाइफस्टाइल में बदलाव
COVID-19 ने न सिर्फ़ हमारी हेल्थ पर प्रभाव डाला हैं ,बल्कि हमारे जीवन जीने के तरीके को भी बदल दिया हैं। जिन महिलाओं को PMS है ,उन्हें इन दिनों में काफ़ी दर्द सहना पड़ा हैं। हमारा ज़्यादातर घर में रहना , वर्क फ्रॉम होम करना सबकुछ हमारी लाइफस्टाइल को प्रभावित कर रहा हैं। लाइफस्टाइल में बदलाव हमारी हेल्थ और menstrual cycle पर असर डालता हैं।
मेडिकल सुविधा की कमी
भारत में हॉस्पिटल्स की वैसे ही मेडिकल सिचुएशन मज़बूत नहीं हैं। ऐसे में इतनी बड़ी महामारी आने के कारण अन्य प्रॉब्लम्स पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। खासतौर पर जिन महिलाओं को कोरोना के लक्षण है, उनका मेंस्ट्रुएशन से सम्बंधित इजाल और मुश्किल हो जाता हैं।
Resources की कमी
इस महामारी के दौर में मेडिकल resources की कमी होना लाज़मी हैं। औरतों को दवाइयों और अन्य जांच सुविधाओं का मिलना मुश्किल होता जा रहा है। हॉस्पिटल्स में किसी भी प्रॉब्लम से जाओ ,तो सबसे पहले कोविड टेस्ट कराना पड़ता हैं। लम्बी - लम्बी लाइने और प्रॉपर resources का न होना महिलाओं के मेंस्ट्रुअल साइकिल को और प्रभावित कर रहा हैं।
Menstrual hygiene products और सवछता की समस्या
कोरोना के कारण आर्थिक तंगी हो गयी है , जिसके कारण कई लड़कियों के पास उतने पैसे नहीं है कि वह hygiene प्रोडक्ट्स खरीद सके। छोटे शहरों में साफ़ टॉयलेट की समस्या आज भी हैं। वहां पर लड़कियों को आज भी क्लीनलीनेस के प्रति अवेयरनेस की ज़रूरत हैं।