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सिर्फ़ सर पर पल्लू रखना ही "संस्कार" नहीं होता है!

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Swati Bundela
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हमारे भारतीय समाज में औरतों को पल्लू में रहना ,ऊंची आवाज़ में बात न करना ,घर के सारे काम करना ,ये सबकुछ मायके से ही सिखाया जाता है। शादी के बाद ससुराल में अगर आप इन सभी बातों को फॉलो करती है तो ही आप एक "संस्कारी" बहु कहलाएगी। लेकिन मेरा सवाल ये है कि क्या सिर्फ़ सर पर पल्लू रखने से ही एक बहु "संस्कारी बहु" मानी जाएगी? क्या पल्लू रखना ही संस्कार है ?

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सिर्फ़ सर पर पल्लू रखना ही "संस्कार" नहीं होता है! जानिए ,कैसे?



"सर पर पल्लू तो रखेंगे लेकिन इज़्ज़त नहीं करेंगे" :

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आप अपनी बेटी/बहु /बीवी को दुनियावी दिखावें के लिए सर पर दुपट्टा तो रखवा सकते हो ,लेकिन उसके मन में सबकी इज़्ज़त करने की भावना कैसे डालोगे? कई बार ऐसा देखा गया है कि घर की बहु पल्लू तो करती है लेकिन परिवार वालो की इज़्ज़त नहीं करती। क्या आपके हिसाब से घूँघट के अंदर से ही घरवालों के साथ बत्तमीज़ी से पेश आना संस्कार है?

पल्लू न करने वाली हर लड़की बेशरम नहीं होती :

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हमारी सोसाइटी के कुछ लोग छोटे कपड़े पहनने वाली लड़कियों को अच्छा नहीं समझते ,उनके मुताबिक़ ऐसी लड़कियों में लाज शर्म ,इज़्ज़त ,हया कुछ नहीं होता। लेकिन पल्लू न करने का मतलब ये नहीं कि वो आपकी इज़्ज़त नहीं करती ,क्या पता उसे पल्लू करने में परेशानी महसूस होती हो। अगर वो अपने परिवार और पति को खुश रखती है ,सबको एक साथ ले के चलती है ,तो वो एक संस्कारी लड़की है।

पल्लू करने वाली हर लड़की संस्कारी नहीं होती :

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ऐसा देखा गया है कि पल्लू में रहने वाली लड़कियां बत्तमीज़ और बेशरम होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली बहु के अफेयर की खबरे अक्सर न्यूज़ में पढ़ी या देखी है। हर मामले में अपना स्वार्थ देखना ,परिवार की परवाह न करना , घर के कामो में कामचोरी करना , एक संस्कारी बहु की निशानी नहीं है।

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शर्म और इज़्ज़त सिर्फ़ पल्लू में नहीं दिल में होनी चाहिए :



अगर आप अपनी सास को माँ की तरह मानती है ,घर के बड़ो की इज़्ज़त करती है ,पति से तमीज़ और प्यार से पेश आती है तो आप एक संस्कारी बहु है क्योंकि शर्म और इज़्ज़त सिर्फ़ पल्लू में नहीं दिल में होनी चाहिए। सर से पल्लू गिर जाये चलेगा लेकिन किसी के लिए दिल से इज़्ज़त नहीं गिरनी चाहिए। क्या पल्लू रखना ही संस्कार है
सोसाइटी क्या पल्लू रखना ही संस्कार है
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