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क्या आपको भी पेन्डिमिक में पर्सनल टाइम की कमी महसूस हो रही है ?

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Swati Bundela
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पेन्डिमिक ने हम सब की दिनचर्या को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है, फिर चाहे वो काम का तरीका हो या दोस्तों की महफ़िल। आर्ट के सभी प्रोग्राम भी ऑनलाइन शिफ्ट हो गए। आर्टिस्ट्स को पूरे स्टेज का इस्तेमाल नहीं बस कंधों तक ही देखा। पढ़ाई हो ऑफिस का काम या डेटिंग सब कुछ ऑनलाइन शिफ्ट हो चुका है। तो ब्लैक स्क्रीन्स के टाइम पे खुद के साथ टाइम निकालना बहुत ज़रूरी है।



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ऐसे में जब हर काम स्क्रीन पे हो, तो पर्सनल टाइम ऑफलाइन ही होना चाहिए। बढ़ते स्क्रीन टाइम का असर हमारी आंखों और उनके नीचे के डार्क सर्कल्स पर दिखता है। 

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किताबों को दें थोड़ा समय।


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बढ़ती एंजाइटी या कोई नई हॉबी हर चीज़ का सॉल्यूशन किताबों में मिल जाता है। कोरोना पर ही कितनी किताबें लिखी जा चुकी हैं। नए जौनरा को ट्राई करें, प्रचलित लेखकों को पढ़ें, क्लासिक्स का स्वाद लें। अगर आपको फिक्शन नहीं पसंद, तो नोन फिक्शन का समुन्द्र बहुत बड़ा है। भले आप इन्वेस्टिंग शुरू करना चाहती हो, फाइनेंस की समझ बढ़ानी हो, या कॉन्फिडेंस बूस्ट करने के लिए। हर मोड़ पर किताबें आपका साथ दे सकती हैं।



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रीडिंग से आपकी वोकैब बेहतर होती है, जिसका असर आपकी कम्युनिकेशन स्किल पर सीधे दिखेगा। कोरोना के चलते कई बुक्स्टोर्स बंद होते जा रहे हैं, आप उनकी मदद भी कर सकती हैं।





गार्डनिंग है कारगर पास्टाइम।





घर में टैरेस या बालकनी में गार्डेनिंग करना आपके होम एस्थेटिक को भी संवारता है। आप अपने हर्ब्स खुद ही उगा सकती हैं। एक चीज़ को अपने आगे बढ़ते देखना अलग ही आनंद होता है। अगर आपके घर में बालकनी ना भी हो तो आप कुछ पौधे जैसे मनी प्लांट को खिड़कियों या ड्रॉअर के पास लगा सकती हैं।





डेस्क प्लांट्स, यानी सक्युलेंट्स से भी आप अपनी वर्क डेस्क सजा सकती हैं। कई सारे प्लांट्स जिन्हें इनडोर प्लांट्स कहा जाता है वो घर की हवा को शुद्ध करते हैं। आप अपने बुक शेल्फ को भी इनसे सजा सकते हैं। ऐसे समय जब हम पूरे दिन स्क्रीन के सामने बैठते हों, नेचर के साथ थोड़ा जुड़ना ज़रूरी है।





कुछ नया बनाएं।





डू इट योरसेल्फ (DIY) के साथ थोड़ा एक्सपेरिमेंट करें। पुरानी रखी चीज़ों से कुछ नया बनाएं। चूड़ियां, पुराने धागे, पुराने डब्बे हर चीज़ से कुछ ज़रूरत का बनाया जा सकता है। ज़रूरत है तो बस नज़रिए की। एक क्रिएटिव व्याक्ति बेकार के सामान को भी ज़रूरी की चीज़ में बदल सकता है।





जर्नलिंग





किसी और को जानने से पहले खुद को जानना बहुत जरूरी है। बढ़ती एंजाइटी और स्ट्रेस के समय पर खुद से बात करना और इंट्रोस्पेक्ट करना फ़ायदेमंद होगा। अपनी पर्सनल परफॉर्मेंस और इमोशन्स को देखते रहना, मेंटल हेल्थ का ख्याल रखना जर्नलिंग से हो सकता है।





चाहे कैसा भी समय हो, सेल्फ लव और पर्सनल टाइम पर कॉम्प्रोमाइज नहीं होना चाहिए। खुद को पहले रखें क्यूंकि आपसे ही आपका जहान है, और खुद का ख्याल रखना आपकी पहली प्रायोरिटी होना चाहिए।


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