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5 बातें जो काश मेरी माँ ने मुझसे कही होती !

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Swati Bundela
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बाते जो मेरी माँ ने मुझसे कही होती : माँ -बेटी का रिश्ता, दुनिया के सभी रिश्तों में सबसे बढ़कर होता है। हर लड़की के जीवन में उसकी माँ सबसे पहली दोस्त होती है। आपको कैसे रहना है ,कैसे कपड़े पहनने है ,कहा जाना है ,कहा नहीं जाना है ,आपको क्या खाना चाहिए, क्या नहीं खाना चाहिए ,इन सभी बातों का ध्यान बचपन से आपकी मम्मी रखती है। बाते जो मेरी माँ ने मुझसे कही होती

लेकिन बड़े होने के बाद हमे अक्सर कुछ बातों का दुख होता है ,मन में ये ख़याल आता है कि "काश मेरी मम्मी ने मुझे ये बाते कही होती"। आपकी माँ की कही हुई हर अच्छी बात आपको उत्साह से भर सकती है और उनकी कही हुई बुरी बात ,या रोक टोक आपको निराश कर देती है। बाते जो मेरी माँ ने मुझसे कही होती

ये है वो 5 बाते जो मेरी माँ ने मुझसे कही होती :

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'तुम्हे हर बात मुझसे शेयर करने की ज़रूरत नहीं है'

हर माँ को अपनी बेटी को थोड़ा प्राइवेट स्पेस देना चाहिए। अक्सर कई बाते ऐसी होती है जो हम अपनी माँ से शेयर करना नहीं चाहते होंगे, अगर हम उन्हें वो बात बताना नहीं चाहते तो इसका मतलब ये नहीं के हमारे मन में चोर है।

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'जबतक तुम खुदके पैरो पर खड़ी न हो जाओ शादी मत करना'

काश हर माँ अपनी बेटी को ये लाइन बोले ,ताकि हर बेटी अपने सपने पूरे कर सके ,अपना करियर बना सके। उन्हें आगे चल के भी किसी का मोहताज न होना पड़े। चाहे लड़का हो या लड़की सेल्फ इंडिपेंडेंट होने के बाद ही शादी करनी चाहिए ,ताकि आप एक दूसरे का सपोर्ट सिस्टम बन सके न की बोझ या ज़िम्मेदारी।

'तुम अपना करियर बनाने पर ध्यान दो ,रिश्तेदारों को मैं संभाल लुंगी'

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कई बार माँ अपनी बेटी के करियर को सपोर्ट करती है ,लेकिन परिवार और रिश्तेदार के दबाव में आ के बेटी पर शादी का दबाव डालने लगती है ,जो कि गलत है। अगर हर माँ अपनी बेटी के करियर के सपोर्ट में खड़ी हो जाये तो ये दो चार रिश्तेदार उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

'नंबर नहीं नॉलेज मायने रखता है'

अक्सर हमे माता -पिता दोनों से सुनने को मिलता है कि बहुत कम नंबर है, तुम्हारी दोस्त के तो इससे ज्यादा आए है। हमारे माँ -बाप को ये समझने की ज़रूरत है कि हर बच्चा एक जैसा नहीं होता सबका दिमाग अलग होता है ,इसलिए कभी भी किसी से कम्पेयर किये बिना हमारा हौसला बढ़ाना चाहिए।

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'खुदको फर्स्ट प्रायोरिटी रखो'

हम बचपन से देखते है कि कई बार अपनी खुशियों और सपनो का गाला घोट के हमारी माँ खुदसे पहले अपने पति, बच्चों ,परिवार की इज़्ज़त आदि के बारे में सोचती है। और यही सीख वो हमे देती है। लेकिन क्या ऐसा करने से हम सबको तो खुश रख लेते है लेकिन खुदके मन को नहीं ? क्या अपने सपनो का गला घोट के कोई सुकून से जी सकता है ? अगर आप खुदको फर्स्ट प्रायोरिटी समझ के अपने लिए कुछ करोगे ,तभी किसी दूसरे के लिए कुछ अच्छा कर पाओगे। बाते जो मेरी माँ ने मुझसे कही होती बाते जो मेरी माँ ने मुझसे कही होती



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