मां बनने की सही उम्र क्या है? जीवन बनाने में सक्षम होना निस्संदेह महिलाओं को दिए जाने वाले सबसे खूबसूरत उपहारों में से एक है। एक महिला अपने पीरियड्स शुरू होने के बाद और पीरियड्स बंद होने से पहले किसी भी उम्र में मां बन सकती है जो कि 13-50 की उम्र तक। एक महिला को कब मां बनना है वो उसका और उसके पार्टनर का फैसला होना चाहिए।
वह जब बच्चे के लिए मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से तैयार हो क्योंंकि एक बच्चे के साथ अनेक खुशी के पल लेकिन साथ आती हैं अनेक चुनौतियां और परेशानियां। एक अच्छी फैमिली प्लानिंग ही एक अच्छे शादीशुदा जीवन की नींव मनी जाती है इसलिए आज कल की पीढ़ी बच्चे का निर्णय लेने से पहले काफी सोच विचार करती हैं।
20 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना
एक महिला के लिए प्रेग्नेंट होने की सबसे सही उम्र तब होती है जब वह खुद को मानसिक, शारीरिक, फाइनेंशियली और भावनात्मक रूप से मैच्योर और तैयार माने। युवा आयु सीमा ज्यादातर महिलाओं के लिए परफेक्ट टाइम नहीं है, लेकिन इस उम्र में एक महिला सबसे फ्रटाइल होती है।
कुछ महिलाएं शारीरिक रूप से मां बनने के लिए त्यार होती हैं लेकिन मानसिक और भावनात्मक रूप से त्यार नहीं होती जिसके कारण वो प्रेग्नेंसी का ख्याल मन में नहीं लातीं। महिलाओं को ये ध्यान रखना चाहिए कि एक उम्र के बाद प्रेग्नेंट होने के चांसिस कम होने लगते हैं क्युकी कंसीव करने में दिक्कत आने लगती हैं।
25-30 के बीच की उम्र को प्रेग्नेंट होने के लिए सबसे अच्छा मानी जाती है। इस उम्र को सबसे अच्छा इसलिए माना जाता है क्योंंकि महिलाएं कंसीव करने के लिए शारीरिक रूप से सक्षम होती हैं। इस उम्र में सबसे स्वस्थ और फर्टाइल अंडों की उपस्थिति होती है।
30 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना
30 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना अक्सर महिलाओं की सेहत को प्रभावित कर सकता है क्योंंकि 30 की उम्र के बाद फर्टिलिटी कम होने लगती है जिसकी वजह से रिस्क बढ़ जाता है। एंडोमेट्रियोसिस और ट्युबल डिजीज के कारण भी फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उम्र के साथ महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स बढ़ने लगता है जिसकी वजह से प्रेगनेंसी में समस्या आ सकती हैं। इसके अलावा धूम्रपान, रेडिएशन, और कीमो थेरेपी भी फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचाते हैं।
32 की उम्र के बाद कंसीव करने की संभावना 25-30 की उम्र की महिलाओं की तुलना में 50 प्रतिशत कम हो जाती है। 32 की उम्र के बाद महिलाओं की शारीरिक ऊर्जा कम होने लगती है और उनकी बॉडी में कई बदलाव आते हैं जेसे हार्मोनल एंबेलेंस, हड्डियों कमजोर होने लगती हैं, मेटाबॉलिज्म बढ़ने लगता है और इस बीच प्रेगनेंसी, लेबर पेन और बच्चे की देखभाल करना थोड़ा कठीन हो सकता है।