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जानिए कौन थीं Arati Saha? इंगलिश चैनल पार करने वाली पहली भारतीय महिला

जब भी हम भारत के गर्वशील इतिहास की बात करते हैं, तो आरती साहा का नाम उनमें से एक है जो हमें गर्व महसूस कराता हैं। आरती साहा भारतीय और एशियाई महिला हैं जो पहली बार इंगलिश चैनल पार करने वाली महिला बनी थीं।

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Ritika Negi
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First Indian and Asian woman

Arati Saha (Image Credit: file image)

Who was the first Indian and Asian woman to swim across English Channel: जब भी हम भारत के गर्वशील इतिहास की बात करते हैं, तो आरती साहा का नाम उनमें से एक है जो हमें गर्व महसूस कराता है। आरती साहा भारतीय और एशियाई महिला हैं जो पहली बार इंगलिश चैनल पार करने वाली महिला बनी थीं। उनकी कहानी और उनकी उपलब्धि हमें साहस, उत्साह और समर्पण की प्रेरणा देती है।

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कौन हैं आरती साहा? (Who is Aarti Saha?)

आरती साहा का जन्म 24 सितंबर, 1940 को हुआ था। वे बंगाल के कोलकाता में पैदा हुई थीं। उनका परिवार मध्यम वर्गीय था, लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें शैक्षिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ पाला-पोसा। आरती की बचपन की ख्वाहिश एक दिन समुद्र में तैरने की थी। इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और तैराकी की प्रशिक्षण लेने लगी। 

आरती ने 11 साल की उम्र में ही तैराकी की प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें विश्वस्तरीय तैराक बनने की स्थिति तक पहुंचाया। उन्होंने बहुत सारे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और कई पदक भी जीते। 1948 में, उन्होंने 100 मीटर फ्रीस्टाइल और 200 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में दो रजत पदक जीते, मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय चैंपियनशिप में 200 मीटर फ्रीस्टाइल में कांस्य पदक जीता, जो भारत की आजादी के बाद उनकी पहली जीत थी। उन्होंने 1949 में एक अखिल भारतीय रिकॉर्ड भी बनाया। 

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इंगलिश चैनल विक्ट्री (English Channel Victory)

आरती साहा ने इंग्लिश चैनल को पार करने का मन बनाया। उनका पहला प्रयास असफलताओं से भरा हुआ था। उनकी नाव लगभग एक घंटे देर से पहुंची थी जिस वजह से उन्हें काफी समस्या हुई थी। 29 सितंबर 1959 को आरती ने इंग्लिश चैनल पार करने का अपना दूसरा प्रयास किया। वह 16 घंटे और 20 मिनट तक लड़खड़ाती हुई 42 मील की दूरी तय करके अंग्रेजी तटों तक पहुंची, जहां आरती ने भारत का झंडा फहराया। 

आरती साहा की उपलब्धि ने भारत को गर्वित किया और समुद्री तैराकी की दुनिया में भारतीय महिलाओं की स्थिति को मजबूत किया। उनकी कहानी आज भी हमें समर्थन और प्रेरणा देती है, वे साहस, समर्पण और संघर्ष के माध्यम से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का उत्तम उदाहरण हैं।

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