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Rape Survivor And Society: पहले के दौर में हमारे देश और समाज में हमेशा से पैट्रियार्ची रही है, जिसकी वजह से महिलाओं की आवाज को अक्सर अनसुना और दबा दिया जाता था। इस पैट्रियार्ची के चलते पुरषों ने महिलाओं को कभी भी कुछ समझा ही नहीं, जिसकी वजह से महिलाओं को अपने बेसिक ह्यूमन राइट्स भी नहीं मिलते थे। हम कहने को तो 21वीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं लेकिन हमारी सोच आज भी पुरानी और दकियानूसी सोच आज तक बदली नहीं है।
हमारे देश के लोगों की सोच
हमारे समाज में आज भी दोष एक लड़की या औरत का ही माना जाता है, फिर चाहे वो कोई भी घटना क्यों न हो। पुरुषों को लगता है की आज के दौर में भी उनकी पैट्रियार्ची चल रही है लेकिन यह सच नहीं है। इस समाज में बचपन से ही एक लड़की को घर की इज्जत बोल कर, कई चीजें करने से रोक दिया जाता है। क्यों कभी किसी ने अपनी बेटियों को बिना किसी रोक टोक के वो करने का हक दिया जो वह चाहती है बिना समाज के दर का, शायद नहीं।
हम एक ऐसे समाज और देश में रहते हैं जहां अपनी खुशियों से ज्यादा लोगों के अप्रूवल की चिंता करते हैं क्योंकि हमारे जीवन पर, हमसे ज्यादा तो समाज और उसके लोगों का कंट्रोल है।
हमारे देश के लोगों की सोच, जब में देश के लोगों बोलती हूं तो इसमें सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि वो महिलाएं और औरतें भी आती हैं जिन्होंने हमेशा लड़की का दोष निकाला है, बात को जाने बिना। हमारे यहां जब एक लड़की घर से छोटे कपड़े पहन कर जाति है तो क्या क्या बातें नहीं होती, लड़के के साथ चक्कर होगा, लड़कियां ही लडको को उकसाती हैं ऐसे कपड़े पहन कर, बिगड़ गई है। लेकिन क्या एक लड़की के कपड़े उसके कैरेक्टर को जज करते हैं। इस सोच को कौन बदलेगा और कब?
रेप सर्वाइवर को क्यों होना पड़ता है शर्मिंदा?
21वीं सदी में जी रहे हैं हम, लेकिन यहां लड़कियों और औरतों के साथ बरताव जंगली जानवरों की तरह होता है। हमारा समाज ऐसा बन चुका है जहां एक लड़की कही भी सुरक्षित नहीं है, न स्कूल, बस, गली, घर, मॉल, कहीं भी नहीं। जब एक लड़की के पेरेंट्स उससे बाहर जाने से रोकता है ना, तो उसका कारण यह है की उन्हें बाहर की दुनिया के बारे में पता है और समाज कैसे रिएक्ट करता है उसके बारे में भी पता है।
भले ही एक लड़की के परिवार वाले समाज के लोगों की बातों की परवाह नहीं करते लेकिन वह समाज के लोगों के तानों से अपने बच्चों को बचाना चाहते हैं, जिसकी वजह से वह अपनी बेटियों को घर से बाहर कम निकलने देते हैं। लेकिन क्या बेटियों को घर पर बिठाने से इन समस्याओं का हल निकल जाएगा?
रेप होने पर लड़की पर सवालों की बौछार क्यों की जाती है?
आज भी जब एक लड़की का रेप होता है, तो सब उस लड़की के ऊपर हजारों सवालों की बौछार कर देते हैं। एक लड़की उस घटना से बाहर आ सकती है लेकिन उन सवालों से, उन लांछनों से, अपने माता पिता को लोगों के ताने सुनने हुए देख, शायद कभी बाहर न आ पाए। क्यों आज भी लडको को शक की निगाहों से देखा जाता है, उसे समाज में फिर से खुल के जीने का मौका नहीं दिया जाता?
क्या जो हुआ उसमे लड़की की गलती थी? क्यों आज भी एक लड़की के कपड़ों को लेकर, उसके बरताव, दोस्तों, की वजह से उसपर उंगली उठाई जाती है। अरे छोटे छोटे कपड़े पहनती है, लड़के दोस्त हैं, और घर से बाहर रात के 7 बजे तक रहती है। इन सवालों, बातों और लोगों की घिनौनी लुक देख कर कितनी लड़कियां अपने साथ होती सेक्सुअल एब्यूज की घटनाओं के बारे में किसी को नहीं बताती। जिसकी वजह से वो अंदर ही अंदर घुटती हैं और मेंटली डिस्टर्ब की स्तिथि को अनुभव करती हैं।
जब #metoo मूवमेंट शुरू किया गया था तब कितनी लड़कियों ने अपने साथ हाई घटनाओं के बारे में बताया था। जिसके बारे में शायद को कभी बता नहीं पति अगर इस मूवमेंट को शुरू नहीं किया होता। इसके अलावा हम लोगों की हर चीज में लड़की का दोष देने की सोच को बदलना होगा।
रेप कल्चर को ख़त्म करने के लिए क्या करना चाहिए?
जब तक इस सोच को नहीं बदला जाएगा, तब तक कुछ नहीं होगा। सोच के साथ साथ हमें हमारे देश में सख्त कानून, रूल्स और इंप्लीमेंटेशन चाहिए। एक ऐसा कानून जिसको सुनकर ही लोगों को इस घिनौने काम को करने का विचार हो मन में न आए। इसके साथ ही सबको रेप पीड़िता और बाकी लड़कियों का साथ देना चाहिए और एक जुट होकर इस रेप कल्चर को खतम करना चाहिए।