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Azad Hind Fauj First Female Member Captain Lakshmi Sahgal (image credit-NewsClick)
Azad Hind Fauj's First Female Member Captain Lakshmi Sahgal: लक्ष्मी सहगल ने यह साबित किया कि एक महिला चाहे तो क्या कुछ नहीं कर सकतीI आज भी जब इंडियन नेशनल आर्मी या फिर आज़ाद हिंद सरकार की बात उठती है तो इनका नाम अवश्य लिया जाता हैI सहगल जी न केवल एक मेडिकल डॉक्टर के नाते मरीजों की चिकित्सा की बल्कि वह देश में क्रांति भी लाई आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम उनको शत-शत नमन करते हैंI
जानिए आज़ाद हिंद फ़ौज की प्रथम महिला लक्ष्मी सहगल के बारे में
1. लक्ष्मी सहगल की प्रारंभिक जीवन की कहानी
लक्ष्मी जी का जन्म 24 अक्टूबर 1914 में मद्रास के एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआI उन्होंने क्वीन मैरिस कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की और मद्रास मेडिकल कॉलेज से अपनी एमबीबीएस की डिग्री हासिल कीI उन्होंने गाइनेकोलॉजी में डिप्लोमा किया और सरकार के कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल में अपनी सेवा प्रदान कीI
2. लक्ष्मी से कैप्टन लक्ष्मी बनने का सफ़र
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्हें सिंगापुर भेज दिया गया था मरीजों की सेवा करने के लिए वहीं उन्होंने 'इंडियन इंडिपेंडेंस लीग' जोकि स्वतंत्रता सेनानी रास बिहारी बोस के द्वारा बनाई गई थी जो बाद में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में अपनी निगरानी में लियाI लक्ष्मी जी नेताजी के अपने देश के लिए लड़ने की कुशलता से इतनी प्रेरित हुई कि उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी के 'ऑल विमेन इन्फेंट्री रेजीमेंट' (रानी ऑफ झांसी रेजीमेंट) बनाने में जोकि झांसी की रानी के नाम से रखी गई बनाने में एक सक्रिय भूमिका निभाईI नेता जी के नेतृत्व में आज़ाद हिंद फौज की कैबिनेट की वह पहली महिला सदस्य थींI
3. आज़ादी के बाद उनकी देश के लिए सेवा
1947 में उन्होंने कर्नल प्रेम कुमार सहगल से शादी कीI स्वतंत्रता के बाद उन्होंने फिर से अपने चिकित्सा के कामकाज को कानपुर में शुरू कियाI उन्होंने भारत-पाकिस्तान के विभाजन के वक्त कई रिफ्यूजी की चिकित्सा कीI वह 'ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमिंस संगठन' की फाउंडिंग मेंबर रह चुकी हैं जिसने महिलाओं के पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाना सिखायाI 1971 में लक्ष्मी जी ने 'कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया' को ज्वाइन किया और राज्यसभा का प्रतिनिधित्व कियाI 1984 में भोपाल के गैस ट्रेजडी में उन्होंने रोगियों की चिकित्सा की, सिर्फ यहां तक ही नहीं उसी वर्ष एंटी-सिख दंगों में उन्होंने घायलों की भी चिकित्सा कीI
4. कैप्टन लक्ष्मी सहगल की आखरी देन
अपने जीवन के शेष कुछ वर्षों में भी उन्होंने लगातार मरीज़ों की चिकित्सा की और किसी भी तरह से छोटे-बड़े बदलाव से देश का भला कियाI अपने जीवन के किसी भी पड़ाव में लक्ष्मी जी कभी भी रुकी नहीं चाहे वह किसी राजनीति के द्वारा या फिर अपने चिकित्सा कौशल के द्वारा उन्होंने सदा ही लोगों की सेवा की एवं उपचार कियाI जिसके परिणामस्वरूप उन्हें भारतीय प्रेसिडेंट के आर नारायण के द्वारा पद्मा विभूषण से नवाज़ा गयाI लक्ष्मी सहगल हर उन भारतीय महिलाओं के लिए एक अद्भुत उदाहरण बनी जिन्होंने महिलाओं को घर से बाहर निकलने और बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया उत्कृष्ट चिकित्सक और एक अमर क्रांतिकारी के तौर पर उन्होंने आजादी की लड़ाई में अपनी अमिट छाप छोड़ीI