Women Who Left Home For Independence Of India: हमारे देश की आजादी के लिए सिर्फ पुरुषों ने भाग नही लिया था बल्कि महिलाओं ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पुरुषों के साथ कंधों से कंधे मिलाकर उन्होंने हमारी देश की आजादी के लिए काम किया था। अपनी जान की परवाह ना करते हुए, घर छोड़कर देश की सेवा में लगीं थीं।
जानिए ऐसी महिलाओं के बारे में जिन्होंने देश की आजादी के लिए छोड़ दिया था घर
1. सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू जो भारत की कोकिला के नाम से जाना जाता है वह कवि और एक राजनीतिज्ञ थी। वह भारतीय के कांग्रेस दल की दूसरी अध्यक्ष थीं। वह पहली महिला थीं जो आजादी के बाद भारत की उत्तर प्रदेश राज्य की राज्यपाल बनी थीं। भारत की आजादी के लिए अपना सब कुछ दान कर दिया था। गांधी जी के स्वतंत्र संग्राम को भी उन्होंने समर्थन किया था।
2. मतांगिनी हाजरा
मातंगिनी हजरा जोकि कांति बॉडी के नाम से जानी जाती हैं वह बंगाल की एक वृद्ध महिला थीं असहयोग और भारत छोड़ो संग्राम में उन्होंने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका पालन की थी उन्होंने अपने उस उम्र में भी भारत की आजादी के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। उन्हें ब्रिटिश सरकारों के सैनिकों ने गोली से मार दिया था। अपने आखिरी स्वास में भी उनके मुख्य में वंदे मातरम बोली थी। उनका एक मूर्ति आज भी कोलकाता में है।
3. डाक्टर लक्ष्मी सहगल
डॉ. लक्ष्मी सहगल कैप्टन लक्ष्मी सहगल के नाम से जानी जाती हैं। वह भारत के जातिवाद के विरुद्ध लड़ने वाली नेताओं में से एक हैं। 1938 में मद्रास मेडिकल कॉलेज से अपना एमबीबीएस पूरा किया था। सुभाष चंद्र बोस से अनुप्रेरित होकर उन्होंने भारत की आजादी में भाग लिया था। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना दल गठन करने में सुभाष चंद्र बोस की सहायता की थी और वही से उन्हें कैप्टन का दर्जा मिला।
4. अरुणा आसिफ अली
अरुणा आसिफ अली भारतीय स्वतंत्र संग्राम की द ग्रैंड ओल्ड लेडी के नाम से जानी जाती हैं। भारत छोड़ो संग्राम के समय उन्होंने मुंबई के गोवालिया टैंक के सामने जातीय कांग्रेस की तिरंगा पकड़े हुए विरोध किया था। उन्होंने भारत के नमक संग्राम और भी बहुत सारी संग्राम में अपनी वीरता दिखाई जिसके लिए उन्हें जेल में बंद होना पड़ा था।
5. बसंती देवी
बसंती देवी ने आजादी की लड़ाई में भाग लिया था जब उनके पति चितरंजन दास अरेस्ट हुए थे। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए नारी कर्मा मंदिर प्रतिष्ठित किया था। बसंती देवी ने सविनय अवज्ञा और खिलाफत संग्राम में भाग लिया था। उन्हें कोलकाता में खादी कपड़ा बिकने के जुर्म से ब्रिटिश सैनिकों ने बंदी बना लिया था।
भारत की आजादी के लिए महिलाओं ने अपनी वीरता का परिचय दिया था। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, उदा देवी जैसी बहुत सारी महिलाओं ने अपनी जान की परवाह करते हुए देश की सेवा की।