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गणतंत्र दिवस क्यों मनाते हैं और इसका असली महत्व क्या है? जानिए इससे जुड़ी खास और अनजानी बातें

गणतंत्र दिवस भारत के संविधान के लागू होने की याद में मनाया जाता है। यह हमारे लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों का सम्मान करने का दिन है।

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Vedika Mishra
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Republic Day (pinterest)

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Republic Day : गणतंत्र दिवस जिसे हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है भारत की लोकतांत्रिक यात्रा और स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण निशानी है। यह दिन 1950 में भारतीय संविधान के लागू होने के साथ भारतीय लोकतंत्र की नींव का प्रतीक बन गया था। हालांकि हम सभी इसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाते हैं इस दिन से जुड़ी कुछ खास और शायद अनजानी बातें हैं जो इसके असली महत्व को और भी गहरे तरीके से समझाती हैं।

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गणतंत्र दिवस क्यों मनाते हैं और इसका असली महत्व क्या है? जानिए इससे जुड़ी खास और अनजानी बातें

  • संविधान सभा की संरचना: भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए संविधान सभा का गठन 1946 में किया गया था जिसमें कुल 389 सदस्य थे। इनमें से 15 महिलाएं भी शामिल थीं जो उस समय के भारत में एक बड़ी बात थी। डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान का "मुख्य निर्माता" माना जाता है लेकिन 30 अन्य सदस्य भी इस महत्वपूर्ण काम में शामिल थे |
  • पहली ड्राफ्ट की अस्वीकृति: भारतीय संविधान के पहले ड्राफ्ट को 1948 में संविधान सभा द्वारा खारिज कर दिया गया था। इसके बाद इसे फिर से संशोधित किया गया और अंत में 26 जनवरी 1950 को यह लागू हुआ।

गणतंत्र दिवस में निहित संदेश

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  • राष्ट्रीय ध्वज का महत्व: गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा फहराया गया राष्ट्रीय ध्वज केवल एक ध्वज नहीं होता बल्कि यह भारतीय संस्कृति और विविधता का प्रतीक है। प्रत्येक रंग और चक्र का एक गहरा संदेश है - केसरिया रंग साहस और बलिदान, हरा रंग विश्वास और समृद्धि तथा सफेद रंग शांति और सत्य का प्रतीक है। चक्र का आठ स्पोक्स लोकतंत्र और कानून के राज्य की स्थिरता का प्रतीक है।
  • संविधान का उद्घाटन और उद्घाटन भाषण: 26 जनवरी 1950 को जब भारतीय संविधान लागू हुआ था तब भारतीय राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने इसे संसद में औपचारिक रूप से उद्घाटित किया था। उनके उद्घाटन भाषण में भारतीय लोकतंत्र की स्थिरता और न्याय की प्रक्रिया पर जोर दिया गया था जो अब तक देश के मौलिक अधिकारों का संरक्षण करता है।

गणतंत्र दिवस की खास परेड 

परंपरा से भी अधिक: गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत 1950 में नहीं हुई थी बल्कि पहली परेड का आयोजन 1955 में किया गया था। 1950 से 1954 तक यह एक छोटा सा समारोह था। इस परेड में भारतीय सेना, पुलिस और अन्य संगठनों द्वारा प्रदर्शन किया जाता है लेकिन इसके पीछे का उद्देश्य केवल भव्यता नहीं था बल्कि यह भारतीय संप्रभुता और शक्ति का विश्व को दर्शाने का एक तरीका था।

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  • महिला सैनिकों का योगदान: गणतंत्र दिवस परेड में महिला सैनिकों की भागीदारी भी विशेष है। पहली बार 2017 में महिला सेना को पूरी तरह से सम्मानित किया गया जब उन्हें भारतीय सेना की पूरी परेड में हिस्सा लेने का अवसर मिला। इससे पहले यह केवल पुरुष सैनिकों का ही दायित्व था।

गणतंत्र दिवस और भारतीय संस्कृति का अनूठा रूप

  • राजपथ पर सांस्कृतिक प्रदर्शनी: राजपथ पर आयोजित होने वाली परेड में केवल सैन्य शक्ति का ही प्रदर्शन नहीं होता बल्कि भारतीय राज्य अपनी संस्कृति, परंपराओं और विकास की झलक भी दिखाते हैं। यह एकता और विविधता के बीच का सामंजस्य है जो गणतंत्र दिवस के दौरान सामने आता है।
  • स्थानीय नृत्य और कला: विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार जैसे पंजाब का भांगड़ा, कर्नाटका का कुम्बाला कुम्बला या गुजरात का गरबा गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनते हैं। यह भारतीय विविधता का एक प्रमुख उदाहरण है जो इस दिन को और भी खास बनाता है।
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गणतंत्र दिवस केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है बल्कि यह हमारे देश की एकता, विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है। इससे जुड़ी अनजानी और खास बातें हमें यह याद दिलाती हैं कि यह सिर्फ एक सरकारी समारोह नहीं बल्कि हमारी संस्कृति और संवैधानिकता का जश्न है। इस दिन को मनाने का असली उद्देश्य केवल उत्सव नहीं बल्कि भारतीय लोकतंत्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी को समझना है।

Republic Day
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