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Balika Vadhu: कैसे इस इंडियन शो ने समाज की दकियानूसी पर उठाए सवाल

फिल्म और रंगमंच I प्रेरणादायक: 2008 में लॉन्च हुई नई चैनल कलर्स टीवी के साथ ही आगमन हुआ एक ऐतिहासिक शो का जिसका नाम था 'बालिका वधू' जिसने समाज की कई कुप्रथाओं पर सवाल खड़े किएI

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Sukanya Chanda
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How Balika Vadhu questioned Society's Stereotypes (image credit- Hindustan Times)

How Balika Vadhu questioned Society's Stereotypes: सिद्धार्थ सिंह गुप्ता एवं प्रदीप यादव द्वारा निर्देशित 'बालिका वधू' जिसे लिखा था पूर्णेन्दु शेखर द्वारा नेI इस धारावाहिक ने हमारे समाज के बहुत पुरानी कुरीतियों पर कड़ा प्रहार कियाI बाल विवाह जैसा पाप जो अब गैर कानूनी है इसे देश के कई स्थलों में आज भी जीवित रखा गया है और न जाने कितनी मासूम लड़कियां इसकी बलि चढ़ती हैI 'बालिका वधू' ने न केवल इस समस्या पर गौर फरमाया बल्कि समाज की हर रूढ़िवादी चिंता एवं अंधविश्वास पर अपने कार्यक्रम के द्वारा कटाक्ष किएI यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारे टीवी इंडस्ट्री को ऐसे शो की बहुत आवश्यकता है जो हमारे समाज को शिक्षित करे और लोगों को जागरूक बनाएI 

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बालिका वधू में कौन-सी समस्याओं का विरोध किया?

1. कच्ची उम्र में जुड़े रिश्ते पक्के नहीं होते

क्योंकि शो का नाम बालिका वधू है इसलिए बाल विवाह इनकी मूल चिंता रहीI बचपन में भले ही जगदीश एवं आनंदी का विवाह हो जाता है और दोनों एक दूसरे के पथ के साथी बन जाते हैं परंतु जैसे ही वह बड़े होते हैं शुभ में दिखाया जाता है कि बचपन में जुड़े रिश्ते का जो रिश्ते बचपन में जोड़े जाते हैं उनकी बड़ी होने पर मान्यताएं बदल जाती है उनकी आवश्यकता या अलग होती है जिस कारण अस्वीकृति एवं एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर जैसे समस्याओं का सामना करना पड़ता हैI जिसके चलते दोनों ही मनुष्यों की का जीवन रुक जाता है और बर्बाद हो जाता है वह दोनों अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ पातेI इसलिए एक मैच्योर उम्र में ना की गई शादी का कोई मोल नहींI

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2. नारी की सशक्तिकरण

समाज में आज भी नारियों का वस्तु की तरह व्यापार किया जाता है, उन्हें पराए घर उनकी सहमति के बिना भेज दिया जाता है परंतु उसका नतीजा जीवनभर एक औरत को ही भोगना पड़ता हैI शो में दिखाया जाता है कि बाल विवाह, घरेलू हिंसा, अशिक्षा या फिर बलात्कार जैसे बाधाओं का सामना करने के बावजूद भी किसी नारी का जीवन रुकता नहींI आनंदी अपने जीवन में आगे बढ़ी, उन्होंने शिक्षा ग्रहण किया और दोबारा से अपने जीवन की नई शुरुआत कीI उन्होंने न केवल अपने ससुराल की दकियानूसी सोच को बदला बल्कि पूरे गांव की गांव में बदलाव लाई उनकी सरपंच बनकरI आनंदी के प्रगतिशील का एक और उदाहरण है कि जब उनका पहला पति उनके पास लौटकर आता है परंतु वह उन्हें ठुकराकर यह सिखाती है कि हमें कभी भी अपने अतीत में वापस नहीं जाना चाहिए और खुद का सम्मान कर, आगे बढ़ते रहना चाहिएI

3. विधवा का दोबारा विवाह

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संसार में यदि एक विधवा फिर से विवाह करने जाती है तो इसे घोर पाप माना जाता है क्योंकि उसे अपना पूरा जीवन अपने मृत पति के मरने का पश्चाताप करते हुए भोगना पड़ता हैI यह उनके लिए पुण्य है? कार्यक्रम में सुगना के द्वारा यह दिखाया गया कि एक विधवा होने से किसी लड़की का जीवन रुक नहीं जाता अपितू उसे पूरा हक है अपने जीवन में प्रेम और खुशी को दोबारा जीने की किसी और के मृत्यु की पीड़ा वह जीवन भर क्यों काटे?

4. समाज में बसे अंधविश्वास का नाश

कार्यक्रम में ऐसी कई मोड़ आए जहां पर अंधविश्वास पर करारा प्रहार किया गया जैसे कि जब एक औरत का पति मरता है तब उसे सबसे अलग कर दिया जाता है और उन्हें कड़ी पीड़ा में रखा जाता है ताकि उनके पति की आत्मा को शांति मिले या फिर आज भी गांव में बिना वजह किसी औरत को अलौकिक कहकर उन्हें उन्हें यातना दी जाती है ऐसे अंधविश्वास मनुष्य को अंदर से खोखला बना देती है हमें इसके बारे में समाज को और भी जागरूक करना चाहिएI

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5. शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती

आज भी ऐसे औरतें होती है जिन्हें उचित शिक्षा न मिलने के कारण वह समाज में पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चल पातीI इसी मुद्दे पर शो में चर्चा करते हुए यह दिखाया गया कि आनंदी न केवल खुद वापस से अपनी शिक्षा शुरू करती है बल्कि अपने गांव की सभी औरतों को शिक्षित भी करती है चाहे वह एक बालिका हो या फिर युवती या फिर एक वृद्धाI शिक्षा पर सभी का अधिकार है यह किसी उम्र तक सीमित नहीं होतीI आप जितना पढ़ेंगे उतना आगे भी बढ़ेंगेI

 

Balika Vadhu
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