How Does Society Help Promote Domestic Violence: समय कितना भी आगे क्यों न निकल चुका हो महिलाओं के लिए समाज में समस्याएं कम नहीं हुई हैं। घरेलू हिंसा के केस समय के साथ बढ़ते ही हैं और इसके पीछे कई कारण मौजूद हैं। घरेलू हिंसा के बढ़ने में समाज एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। क्योंकि समाज पितृस्तात्मक है। बचपन से लेकर बड़े होने तक लड़कियों को समझौता करना और चुप रहना और सहना सिखाया जाता है जबकि लड़कों को समाज यह सिखाता है कि महिलाएं पुरुषों पर निर्भर हैं और यही बात बचपन से ही हिंसा को बढ़ावा देती है। क्योंकि बचपन से बड़े होने तक शिक्षा ही गलत दी जा रही है। भारतीय समाज काफी हद तक पितृसत्तात्मक होने के कारण, लिंग आधारित हिंसा के अस्तित्व को नज़रअंदाज करता है और यह चीज घरेलू हिंसा को बढ़ावा भी देती है। आइये जानते हैं कि कैसे समाज घरेलू हिंसा को प्रोत्साहित करता है।
जानिए कैसे समाज घरेलू हिंसा को बढ़ावा देता है
1. महिलाएं पुरुषों के बना कुछ नहीं हैं
समाज हमेशा पुरुषों को यह सिखाता है कि महिलाएं पुरुषों के बिना कुछ भी नहीं हैं। वे जीवन भर पुरुषों पर निर्भर रहती हैं। यह विचार कहीं न कहीं महिलाओं के प्रति हिंसा को बढाता है। समाज इस बात पर जोर देता है कि एक महिला पुरुष के बिना अस्तित्व विहीन है और यही बात महिलाओं को चुप चाप हिंसा सहने पर मजबूर करती है और समाज इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. तलाक को गलत रूप से देखा जाना
महिलाओ के द्वारा तलाक की बात आने पर समाज उसे एक कलंक और शर्मसार करने वाले विचार के रूप में लेता है। तलाक लेने वाली महिलाओं को गलत निगाह से देखा जाता है। उन्हें किसी का सपोर्ट नहीं मिलता है और उसे मेच्युरिटी वाले कार्य के बजाय एक गलत डिसीजन के रूप में देखा जाता है।
3. बेटियों को अपने घर में रखने में समस्या
शादी के बाद बेटियों को माता-पिता पाने घर में रखना नहीं चाहते हैं ऐसा करने से उन्हें कई तरह की सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण लड़कियां समस्याओं के बाद भी ससुराल में रहने पर बाध्य होती हैं और घरेलू हिंसा को सहती हैं।
4. महिलाओं को घर की इज्ज़त बनाये रखने पर मजबूर करना
समाज और परिवार द्वारा अक्सर महिलाओं को अपने घर की इज्ज़त को सम्भालने की और बनाये रखने की सलाह दी जाती है। जब भी उन्हें कोई समस्या होती है और वे अपने परिवार को बताती हैं तो उन्हें घर की इज्ज़त का हवाला देकर चुप रहा दिया जाता है।
5. बच्चों के लिए सेकेंड चांस देने की सलाह
अक्सर घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को यह सलाह दी जाती है कि अलग होने से पहले अपने बच्चों के बारे में सोचो उन्हें कैसे रखोगी। उन्हें बाप का प्यार नहीं मिलेगा और ऐसी तमाम बातों को बोलकर उन्हें मजबूर किया जाता है। एक ऐसे रिश्ते में रहने पर जिसमें वो हिंसा का शिकार होती हैं।