जानिए कौन हैं Radiologist और AIIMS का नेतृत्व करने वाली पहली महिला Dr Sneh Bhargava?

पद्मश्री डॉ. स्नेह भार्गव का जीवन कभी भी साधारण नहीं रहा। वह भारत की पहली महिला Radiologist बनीं और AIIMS की निदेशक बनने वाली अब तक की पहली महिला हैं।

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Rajveer Kaur
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Radiologist Who Transformed AIIMS and Witnessed History Firsthand

Credit: The New Indian Express

95 साल की उम्र में भी डॉ. स्नेह भार्गव मेडिकल किताबें पढ़ती हैं और नई तकनीकों को सीखने का उत्साह बनाए रखती हैं। अपनी युवावस्था की तरह आज भी वे Medical के प्रति उतनी ही जुनूनी हैं। वह सिर्फ़ एक डॉक्टर नहीं बल्कि प्रेरणा हैं। AIIMS की निदेशक बनने वाली अब तक की इकलौती महिला होने के साथ-साथ वे 1970 के दशक की शुरुआत में उस ऐतिहासिक पल की गवाह रहीं जब अमेरिका में CT Scan के आविष्कार की घोषणा हुई थी। इतना ही नहीं, उन्हें भारत सरकार को यह तकनीक देश में लाने के लिए राज़ी भी उन्होंने ही किया था।

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जानिए कौन हैं Radiologist और AIIMS का नेतृत्व करने वाली पहली महिला Dr Sneh Bhargava?

डॉ. स्नेह भार्गव कौन हैं?

डॉ. स्नेह भार्गव का जन्म 23 जून 1930 को भारत की आज़ादी के पहले लाहौर में एक संपन्न परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें डॉक्टर बनने का शौक था। वह अपनी गुड़ियों और भाई-बहनों के साथ "डॉक्टर-डॉक्टर" खेला करती थीं।

विभाजन के बाद भारत आयीं 

1947 के विभाजन के समय उनका परिवार भारत आ गया। उस मुश्किल दौर में भी स्नेह अपने पिता के साथ शरणार्थी शिविरों में जाकर ज़रूरतमंदों की सेवा करती थीं। उन्होंने नई दिल्ली के लेडी हार्डिंग कॉलेज से MBBS की पढ़ाई की और फिर लंदन जाकर Radiology में पोस्टग्रेजुएशन किया। वहाँ वे वेस्टमिंस्टर अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में इकलौती महिला छात्रा थीं।

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25 साल की उम्र में रेडियोलॉजिस्ट बनने की ओर कदम बढ़ाया

1955 में जब वे साड़ी पहने 25 साल की एक युवा महिला के रूप में इंग्लैंड पहुंचीं, तब उन्होंने अनजाने में ही भारत की पहली अग्रणी रेडियोलॉजिस्ट बनने की दिशा में अपना पहला कदम रख दिया।

एक बेहतरीन रेडियोलॉजिस्ट

1950 के दशक में जब डॉ. भार्गव ने अपने गुरु से सुना कि देश को अच्छे रेडियोलॉजिस्ट की ज़रूरत है, तो वे भारत लौट आईं और AIIMS में काम शुरू किया। उस वक्त वहाँ सिर्फ़ बुनियादी इमेजिंग मशीनें थीं। लेकिन डॉ. भार्गव की मेहनत से वही विभाग भारत का सबसे अग्रणी रेडियोलॉजी सेंटर बन गया।

रेडियोलॉजी की अहमियत के समय में कम थी

उस दौर में रेडियोलॉजी को ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती थी। मरीज के शरीर के अंदर देखने के सिर्फ दो ही तरीके थे या तो एक्स-रे किया जाए या ऑपरेशन के ज़रिए देखा जाए। रेडियोलॉजिस्ट को कभी फोटोग्राफर की तरह, तो कभी बैक ऑफिस स्टाफ जैसा समझा जाता था।

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AIIMS की एकमात्र महिला निदेशक

आज जब रेडियोलॉजी को लेकर लोगों में इतनी रुचि है, तो डॉ. भार्गव हैरान रह जाती हैं। उन्हें अब भी यकीन नहीं होता कि लोग इस फील्ड को दूसरी किसी भी स्पेशलिटी से ज़्यादा पसंद कर रहे हैं। डॉ. स्नेह भार्गव एम्स के इतिहास में पहली महिला निदेशक बनीं। आज भी, वह एकमात्र महिला निदेशक हैं।

डॉ. स्नेह भार्गव की किताब "The Woman Who Ran AIIMS" में उन्होंने इंदिरा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और गांधी परिवार के अन्य सदस्यों से हुई मुलाकातों और बातचीत के कई किस्से साझा किए हैं।

डॉ. भार्गव का गांधी परिवार से जुड़ा गहरा नाता

31 अक्टूबर 1984 की सुबह डॉ. स्नेह भार्गव की नियुक्ति को लेकर AIIMS में एक बैठक चल रही थी। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खुद उन्हें इस पद के लिए चुना था और उनके नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर भी कर दिए थे। उस वक्त डॉ. भार्गव बैठक में मौजूद नहीं थीं। 

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इंदिरा गांधी की हत्या

इसी बीच एक सहकर्मी घबराकर उन्हें बुलाने आया और इमरजेंसी वार्ड चलने को कहा। वहां पहुंचते ही डॉ. भार्गव ने इंदिरा गांधी का खून से सना शरीर देखा। 

उनकी भगवा साड़ी लाल हो चुकी थी और नब्ज नहीं चल रही थी। उन्हें चिंता थी कि कहीं भीड़ इमरजेंसी वार्ड में न घुस जाए, क्योंकि अस्पताल के बाहर लोगों की भीड़ लगातार बढ़ रही थी। इंदिरा गांधी को उनके सिख अंगरक्षकों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए गोली मार दी थी।

डॉ भार्गव की निदेशक नियुक्ति 

डॉ. स्नेह भार्गव ने उन्हें मृत अवस्था में एम्स लाया गया देखा। ऑपरेशन थियेटर में एक सिख डॉक्टर उनकी मौत की खबर सुनते ही भाग गया। देश में दंगे शुरू हो गए थे, और डॉ. भार्गव पर यह ज़िम्मेदारी थी कि जनता को बताया जाए डॉक्टर इलाज में जुटे हैं। बाद में, राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद जो पहली फाइलें मंज़ूर कीं, उनमें डॉ. भार्गव की निदेशक नियुक्ति भी शामिल थी।

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डॉ. स्नेह भार्गव की किताब में एक घटना का ज़िक्र है जब सोनिया गांधी, छोटे राहुल गांधी को AIIMS लेकर आई थीं तब एक तीर खेलते वक्त उसके सिर से छूकर निकल गया था। सोनिया ने डॉ. भार्गव से कहा कि उन्हें खुद राहुल को लाना पड़ा क्योंकि राजीव गांधी उस समय जॉर्डन के राजा से मिलने वाले थे, जिन्होंने उन्हें एक कार गिफ्ट की थी जिसे वे खुद चलाना चाहते थे।

1991 में पद्मश्री

राजीव गांधी, एक स्नेही पिता के रूप में, बिना सुरक्षा के गाड़ी चलाकर राहुल को सरप्राइज देना चाहते थे, लेकिन डॉ. भार्गव ने उनकी सुरक्षा को देखते हुए उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया। 1991 में, भारत सरकार ने डॉ. भार्गव को पद्म श्री से सम्मानित किया।