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Stories of Strength: भारत की अनसुनी महिला वैज्ञानिकों की कहानियां

भारत में कई महिला वैज्ञानिकों ने अद्वितीय खोजें कीं लेकिन उनकी कहानियां कम ही सुनी जाती हैं। यह लेख उन अनसुनी नायिकाओं के योगदान को सामने लाता है जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

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Vedika Mishra
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some famous Indian women scientists

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Stories of Strength: भारत के वैज्ञानिक इतिहास में पुरुषों का योगदान अक्सर सुर्खियों में रहता है लेकिन कई ऐसी महिला वैज्ञानिक भी रही हैं जिन्होंने अपनी असाधारण प्रतिभा से विज्ञान के क्षेत्र में नई इबारत लिखी। दुर्भाग्यवश, उनके योगदान को वह स्थान नहीं मिला जिसके वे योग्य थीं। यह लेख उन महिला वैज्ञानिकों की कहानियां सामने लाने का प्रयास है जिन्होंने चुनौतियों का सामना करते हुए विज्ञान की दुनिया में अपना नाम दर्ज कराया।

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Stories of Strength: भारत की अनसुनी महिला वैज्ञानिकों की कहानियां

अन्ना मणि : भारतीय मौसम विज्ञान की सच्ची नायिका

जब भी भारतीय मौसम विभाग की सटीक भविष्यवाणियों की बात होती है तो अन्ना मणि का नाम शायद ही कभी लिया जाता है लेकिन सच यह है कि भारत में आधुनिक मौसम विज्ञान को मजबूत करने में उनका योगदान अमूल्य है। अन्ना मणि ने देश में मौसम उपकरणों के डिज़ाइन और विकास में क्रांतिकारी बदलाव किए।

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1940 के दशक में, जब महिलाओं के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान करना आसान नहीं था, अन्ना मणि ने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए भारतीय मौसम विभाग के लिए नए उपकरण विकसित किए जो आज भी उपयोग में लाए जाते हैं। वे सूर्य ऊर्जा मापन (solar radiation measurement) में अग्रणी शोधकर्ताओं में से एक थीं। उनके काम की वजह से भारत को मौसम संबंधी आंकड़ों के लिए विदेशी स्रोतों पर निर्भर नहीं रहना पड़ा।

कमला सोहोनी : पोषण विज्ञान में क्रांति लाने वाली वैज्ञानिक

कमला सोहोनी ने भारतीय विज्ञान को एक नई दिशा दी। 1936 में, वे भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में प्रवेश पाने वाली पहली महिला बनीं। यह वही संस्थान था जहां सी.वी. रमन ने उन्हें शोध करने से रोकने की कोशिश की थी क्योंकि उनके अनुसार "महिलाएं विज्ञान के लिए नहीं बनीं।" कमला सोहोनी ने इस सोच को झुठलाते हुए अपने शोध से विज्ञान को समृद्ध किया।

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उनका सबसे महत्वपूर्ण शोध पोषण विज्ञान से जुड़ा था। उन्होंने दूध, दालों और अन्य खाद्य पदार्थों में प्रोटीन और विटामिन की मात्रा का विश्लेषण किया जो बाद में भारतीय पोषण विज्ञान का आधार बना। उनके शोध ने यह सिद्ध किया कि भारत में आमतौर पर खाए जाने वाले भोजन में आवश्यक पोषक तत्व मौजूद हैं जिससे लाखों लोगों के आहार को संतुलित बनाने में मदद मिली।

रोहिणी गोडबोले : नाभिकीय भौतिकी में भारत का नाम रोशन करने वाली वैज्ञानिक

रोहिणी गोडबोले उन चुनिंदा भारतीय महिलाओं में से हैं जिन्होंने नाभिकीय भौतिकी और कण भौतिकी (particle physics) में वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई। वे उच्च-ऊर्जा भौतिकी (high-energy physics) की विशेषज्ञ हैं और उनके शोधों ने हिग्स बोसॉन जैसे जटिल विषयों की समझ को और स्पष्ट किया।

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विज्ञान में लैंगिक असमानता के बावजूद उन्होंने अपने शोध को आगे बढ़ाया और भारत के वैज्ञानिक परिदृश्य में महिलाओं की भूमिका को मजबूत किया। उनका मानना है कि विज्ञान में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए सामाजिक और संस्थागत स्तर पर बदलाव जरूरी है।

गगनदीप कंग : भारत की वैक्सीन महिला

गगनदीप कंग को भारत में वैक्सीन अनुसंधान की सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों में से एक माना जाता है। उन्होंने रोटावायरस वैक्सीन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसने लाखों बच्चों को घातक डायरिया से बचाया। वे पहली भारतीय महिला वैज्ञानिक बनीं जिन्हें ‘रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन’ की फैलोशिप मिली।

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उनका शोध मुख्य रूप से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमणों (पाचन तंत्र में होने वाले संक्रमण) और उनकी रोकथाम पर केंद्रित रहा है। उन्होंने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया है कि भारत में वैक्सीन रिसर्च को अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि संक्रामक बीमारियों से होने वाली मौतों को रोका जा सके।

चंद्रिमा साहा : कैंसर रिसर्च और इम्यूनोलॉजी की विशेषज्ञ

कैंसर रिसर्च में जब भी भारतीय वैज्ञानिकों की बात होती है तो चंद्रिमा साहा का नाम शायद ही सामने आता है। वे इम्यूनोलॉजी और संक्रामक रोगों के अध्ययन में अग्रणी रही हैं।

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चंद्रिमा साहा भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) की पहली महिला अध्यक्ष बनीं। उनका शोध कोशिका मृत्यु (cell death) और रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) पर केंद्रित रहा है जो कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में बेहद उपयोगी साबित हुआ। उनका मानना है कि महिला वैज्ञानिकों को संस्थानों में नेतृत्व की भूमिकाओं में आगे आना चाहिए ताकि विज्ञान की दुनिया में लैंगिक संतुलन कायम हो सके।

 भारतीय महिला वैज्ञानिकों का संघर्ष और शक्ति

ये महिलाएं सिर्फ वैज्ञानिक नहीं थीं बल्कि वे अपने समय से आगे की सोच रखने वाली विचारक थीं। उन्होंने सामाजिक बाधाओं को तोड़ा, पूर्वाग्रहों को चुनौती दी और अपनी बौद्धिक क्षमता से भारत के वैज्ञानिक परिदृश्य को नई दिशा दी।

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आज जब विज्ञान और प्रौद्योगिकी लगातार आगे बढ़ रहे हैं तो यह आवश्यक है कि हम इन महिलाओं की उपलब्धियों को पहचानें, उनका जश्न मनाएं और अगली पीढ़ी की लड़कियों को विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। भारत को विज्ञान और शोध में आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना इस  समय की मांग है।

विज्ञान सिर्फ पुरुषों का क्षेत्र नहीं है। यह उन सभी के लिए खुला है जो जिज्ञासु हैं, जो सवाल पूछते हैं और जो सीमाओं को लांघने का साहस रखते हैं।

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