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मिलिए प्रीति हिंगे से, जिसने उस कार्यक्षेत्र को अपना पेशा बनाया जिसमें आज भी पुरुषों का वर्चस्व है

Blog/Top Stories: प्रीति जैसी महिलाएं साबित कर रही हैं कि कोई भी कार्यक्षेत्र महिलाओं की पहुंच से बाहर नहीं है। आइए जानते हैं ShethepeopleTV के साथ Interview में प्रीति हिंगे ने अपनी एंटरप्रेन्योरियल जर्नी के बारे में क्या कहा

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Vaishali Garg
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प्रीति हिंगे

Priti hinge

Interview: नागपुर की प्रीति हिंगे पेशे से एक कार्पेंटर हैं। प्रीति बहुत सी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं, आपको बता दें की प्रीती की प्रेरणा उनके पिता हैं। प्रीति अपने पिता के काम से प्रेरित थी और इस क्षेत्र में काम करने की ख्वाहिश रखती थी, जिसे NIESBUD ने पूरा किया। प्रीति ने फिर एक उद्यमिता पाठ्यक्रम में दाखिला लिया और व्यवसाय चलाने के कौशल सीखे। नतीजतन, वह अब अपना खुद का फर्नीचर स्टोर चलाने में सक्षम है। आपको बता दें की राष्ट्रीय उद्यमिता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान (NIESBUD) कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE Skill India) का एक प्रमुख संगठन है, जो प्रशिक्षण, परामर्श, अनुसंधान आदि में लगा हुआ है।

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प्रीति ने हिंदी से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की है। प्रीति की तीन बेटियां हैं। प्रीति जैसी महिलाएं साबित कर रही हैं कि कोई भी कार्यक्षेत्र महिलाओं की पहुंच से बाहर नहीं है। आइए जानते हैं ShethepeopleTV के साथ इंटरव्यू में प्रीति हिंगे ने अपनी एंटरप्रेन्योरियल जर्नी के बारे में क्या कहा-

Priti Hinge Interview 

प्रश्न: आपने इस प्रकार का काम क्यों चुना?

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प्रीति का मानना है कि हमें हमेशा उसी काम को करना चाहिए जिससे हमें प्रोत्साहन मिलता है। इस सवाल का जवाब देते हुए प्रीति ने कहा ऐसी कभी शुरू से कोई ख्वाहिश नहीं थी कि यही काम करना है, पिता को यह काम करते देख उन्हें काफी इंटरेस्ट आया इसलिए उन्होंने इस काम को चुना। प्रीति ने आगे बताया कि "ऐसी कुछ खास वजह नहीं है इस काम के पीछे मन में आया, इंटरेस्ट बड़ा और यह काम करने में प्रोत्साहन भी मिला इसलिए मैंने काम किया।"

हमें हमेशा वह काम करना चाहिए जिससे प्रोत्साहन मिले - Priti Hinge 

प्रश्न: आपने यह काम करना कहां से सीखा?

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इस सवाल का जवाब देते हुए प्रीति ने बताया कि "मेरे पापा भी एक कारपेंटर है और बचपन से उनके साथ मैं भी रही हूं तो उनको यह काम करते देख मैं भी छोटे-मोटे कारपेंटर के काम करने लगी जैसे आजू-बाजू वाले घर में जब पापा काम करने जाते थे तो मैं भी उनके साथ जाया करती थी तब वहां उनको काम करते थे एक मुझे भी अनुभव आया।

कुछ समय बाद प्रीति को NIESBUD क्लास के बारे में पता चला जो उसके घर के पास में ही चला करती थी। उस क्लास में प्रीति ने अपना दाखिला कराया। वहां प्रीति ने 15 दिनों तक रोज 6 घंटे बिजनेस कैसे करना है, कैसे अपना खुद का नया व्यवसाय शुरू करना है यह सब सीखा। 15 दिन का कोर्स कंप्लीट करने के बाद वहां से प्रति को एक सर्टिफिकेट मिला और लोन भी मिला जिससे उन्होंने अपनी खुद की एक कार्पेंटर की दुकान खोली।

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प्रश्न: जब आपने यह कार्य शुरू करने का सोचा तब आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा

प्रीति ने एक ऐसे कार्य क्षेत्र को अपना पेशा बनाया जिसमें आज भी पुरुष का वर्चस्व है, ऐसे में उनको बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा होगा, हमारे इस प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रीति ने कहा " लोग बहुत सी ताना भरी बातें बोलते थे और मेरे परिवार ने मुझे सपोर्ट करने की कोशिश नहीं की, लेकिन मेरे पिता ने मुझे उन सभी को अनदेखा करने और जो मैं हमेशा करना चाहती थी वह करने के लिए कहा। मैंने अपने पिता को देखकर ही सब कुछ सीखा और 20 साल की उम्र में अपनी पहली अलमारी बनाई, जिसे मैं बेचने में कामयाब रही,”। प्रीति ने आगे बताया कि "जब मैंने अपनी खुद की शॉप खोली तब बहुत सी बातें हैं लोगों द्वारा सुनने को मिलती थी मुझे और मेरे परिवार को कि यह पुरुषों का काम है यह महिला क्यों कर रही है"।

लोगों के ताने और खासकर यह कहना की पुरुषों का काम महिला क्यों कर रही है, कुछ ऐसा था जिसने प्रीति को और प्रेरित किया कि वह यह काम करें और लोगों को यह साबित करें कि कोई काम महिला या पुरुष का नहीं होता है।

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प्रश्न: आपकी कुछ असफलताएँ क्या रही हैं और आपने उनसे क्या सीखा?

इस सवाल के जवाब देते हुए प्रीति हिंगे बताती हैं कि असफलताएं कुछ खास तो नहीं थी, जब उन्होंने यह कार्य करने का सोचा तब लोगों से कुछ ताने सुनने को मिले लेकिन इन सबके बाद भी उन्होंने अपना कार्य करना जारी रखा, प्रीती आगे बताती है की पिछले 3 साल मतलब कोविड के दौरान उनके काम को काफी गहरा असर पड़ा, जैसे की उस समय शादियां नहीं हो रही थी तो उनको उतने आर्डर नहीं मिल रहे थे लेकिन इन सब से हतोत्साहित नहीं हुई प्रीती और कोविड के बाद फिर से उन्होंने अपने काम को जारी रखा और अभी सब कुछ सही चल रहा है उन्होंने एक नई दुकान भी खोली जहां पर प्रति अपने अंडर में तीन से चार लोगों को काम भी देती है।

प्रश्न: उन महिलाओं से आप क्या कहेंगी जो ऐसे ही कुछ काम करना चाहती हैं?

इस सवाल का जवाब देते हुए प्रीति का कहना है कि कोई भी काम महिला या पुरुष का नहीं होता। काम, काम होता है। आप यदि किसी काम को करने की इच्छुक है तो आप उसे करें उसमें कैसे बेहतर कर सकती हैं यह चीजें सीखें। जब आप किसी ऐसे काम को करेंगी जो एक पुरुष वर्चस्व वाला काम होगा तब लोग आपकी बहुत सराहना करेंगे और वह जो सराहना होगी वह आपको बहुत प्रोत्साहित करेगी आपको भविष्य में आगे बढ़ने के लिए। अपने बारे में बताते हुए प्रीती कहती हैं कि जब उन्होंने यह काम शुरू किया तब उनकी इतनी सराहना हुई कि उनको और प्रोत्साहन मिला कि वह इसको और आगे बढ़ाएं, कुछ समय बाद प्रीति के हस्बैंड भी उनके अंडर में काम करने लगे और यह चीज प्रति को और अधिक प्रेरित करती है कि जरूरी नहीं एक पुरुष ही घर चला एक महिला भी चला सकती है। 

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