Environment Issues: आज के जमाने में स्वस्थ रहने के लिए हम सभी को ताजी हवा, साफ पानी और रहने के लिए घर की जरूरत होती है। ठीक इसी तरह एक साफ-सुथरे और स्वस्थ वातावरण की भी जरूरत होती है। लेकिन खुद इंसानों की कुछ आदतें ऐसी हैं, जो पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करती हैं। जानते है कि इंसानों की ऐसी कौन-सी आदतें है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं।
पर्यावरण को कैसे बचाएं
1. पानी की बरबादी
पानी के बिना एक दिन भी कोई नहीं रह सकता है। पानी का महत्व क्या है, इसे वही लोग जान सकते हैं, जो एक-एक बूंद पानी के लिए तरस जाते हैं। पानी स्वस्थ पर्यावरण के लिए भी बहुत जरूरी है। आपको सोचना चाहिए कि आपको बड़ी आसानी से पानी मिल जा रहा है लेकिन आप उसे बचाने के बजाय बरबाद कर रहे हैं। आज भी ऐसी कई जगह हैं जहां पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इसलिए हमें पानी की बर्बादी नहीं करनी चाहिए।
2. प्लास्टिक का इस्तेमाल
प्लास्टिक की बोतलों और प्लास्टिक की वस्तुओं का आजकल लोग अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार ने भी पॉलीथिन, प्लास्टिक बैग और अन्य प्लास्टिक की वस्तुओं पर बैन लगा दिया है। फिर भी लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। यह पर्यावरण को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।
3. पेड़ों की कटाई पर्यावरण के लिए सही नहीं है
आजकल जहां देखो वहां ऊंची-ऊंची इमारते ही नजर आती हैं। दूर-दूर तक पेड़-पौधे नजर नहीं आते, जिसका पर्यावरण पर बहुत अधिक असर पड़ा है। इन बड़ी इमारतों को बनाने के लिए लोग अंधाधुंध पेड़ों की कटाई कर रहे हैं। इससे न सिर्फ पर्यावरण पर असर पड़ रहा है बल्कि हरियाली भी कम हो रही है।
4. बिजली का बेफिजूल इस्तेमाल
अक्सर कुछ लोग अपने घरों के हर कमरे में बिना काम के भी लाइट और पंखा चलते हुए छोड़ देते हैं। इससे बहुत ज्यादा बिजली की बर्बादी होती है। बिजली का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल या बर्बाद करना, हम इंसानों के लिए ही हानिकारक है।आपको ही जरूरत के समय बिजली प्राप्त नहीं होगी, अगर इस तरह से बिजली का मिस यूज किया जाएगा। बेहतर है कि आप दिन के समय बल्ब या ट्यूब लाइट कम ही जलाएं। अगर कमरे या हॉल में बाहर से रोशनी आ रही है, तो लाइट जलाना जरूरी नहीं है। अपनी इस आदत को जितनी जल्दी सुधार लेंगे उतनी ही ज्यादा बिजली कम कटेगी।
5. धूम्रपान पर्यावरण के लिए हानिकारक
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक नए अध्ययन के अनुसार, धूम्रपान करने वाली तंबाकू पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
सूचना : इस आलेख को केवल संपादित किया गया है। मौलिक लेखन सोनाली का है।