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Photograph: (freepik)
Is Fair Skin Really a Sign of Beauty? Understand the Mindset Behind It and Its Harmful Effects: हमारे समाज में हमेशा से गोरी त्वचा को सुंदरता का प्रतीक माना जाता रहा है। फिल्में हो या विज्ञापन, यहां तक कि परिवारों की सोच में भी यह धारणा घर कर चुकी है कि गोरी त्वचा ही खूबसूरत है। क्या गोरी त्वचा ही सुंदरता की पहचान होती हैं?
The Fairness Deception: क्या सच में गोरी त्वचा है सुंदरता की निशानी, जानें इसके पीछे की सोच और नुकसान
गोरे रंग की प्राथमिकता
भारत में अधिकतर लोगों की त्वचा सांवली या गेहूंआ रंग की है, वहां गोरे रंग की चाहत थोड़ी अजीब लग सकती है। लेकिन यह सोच कहीं न कहीं उपनिवेश काल से हमारे अंदर घर कर चुकी है, जिस समय में अंग्रेजों के गोरे रंग को श्रेष्ठ माना गया। उस समय गोरे लोगों को सत्ता, ताकत और सभ्यता से जोड़कर देखा जाता था। यही सोच आज भी अनजाने में हमारे व्यवहार का हिस्सा बनी हुई है। विज्ञापनों में गोरेपन की क्रीम्स को “सक्सेस” और “कॉनफिडेंस” से जोड़कर दिखाया जाता है। यहां तक कि कई मैट्रिमोनियल साइट्स और परिवारों की शादी के लिए प्राथमिकताएं भी इसी सोच को आगे बढ़ाती हैं, की साफ रंग की लड़की चाहिए।
मानसिकता और त्वचा पर फेयरनेस प्रोडक्ट्स का असर
आज कल महिलाएं महंगे फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल कर रही है, सिर्फ इसलिए क्योंकि गोरी त्वचा को सुंदरता का पैमाना माना जाता है। ये प्रोडक्ट्स जिनमें हानिकारक केमिकल्स होते है, ये त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं और एलर्जी, रैशेज या स्किन कैंसर जैसे खतरे पैदा कर सकते हैं। इसका मानसिक असर भी होता है, लोग खुद को कमतर समझने लगते हैं, आत्मविश्वास घटता है और डिप्रेशन या एंग्जायटी जैसी समस्याएं उभर सकती हैं। ये सबसे नुकसानदेह उनके लिए होते है, जो अपने बचपन से ही समाज के ताने और त्वचा की रंगत पर बात सुनते आ रहे है।
असली सुंदरता है क्या?
चेहरा और इसकी रंगत एक बाहरी आवरण है, जो समय के साथ ढल जाता है। चेहरा आकर्षक का केंद्र है लेकिन तब तक जब तक उनमें चमक हो जब तक आप जवान हो। लेकिन स्वभाव, गुण, आचरण, सोच ये सब समय के साथ और भी निखरती है। एक महिलाएं के लिए ये चीज सबसे जरूरी होती है क्योंकि इन्हीं के बल पे वे समाज का सामना कर सकती है और खुद के लिए सही गलत का फैसला कर सकती है।