Shodh Sujhav: हाल ही में 24,011 यूएस वयस्कों पर हुए रिसर्च के अनुसार थोड़े-थोड़े अंतराल में खाना या कम खाना मृत्यु के ख़तरे को बढ़ने का संकेत देता है। आइए इस फ़ूड से जुड़े शोध के महत्वपूर्ण तथ्य :
आजकल की दिनचर्या के चलते या कम मोटा होने के चलते हमने खाने का एक नया ही पैटर्न बना लिया है, जिसमें हम दो बार का खाना भी सही से नहीं ले पा रहे हैं। हम कम खा रहे हैं या थोड़े-थोड़े समय में खा रहे हैं। अमेरिका ने 40 साल तक के 24,011 यूएस वयस्कों पर एक शोध किया है जिसमें उन्होंने पाया है कि कम खाना या थोड़े-थोड़े समय में खाना हृदय के लिए अच्छा नहीं है।
कम खाना न केवल संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं है। कम खाना खाने से या खाना छोड़ देने से प्रॉब्लम सॉल्विंग, फोकस कम कर पाना, जल्दी-जल्दी ना समझ पाना, जल्दी निर्णय न ले पाना जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। इससे जल्दी-जल्दी मूड बदलने जैसे परिणाम भी सामने आते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ टेनेसी के एपिडेमियोलॉजिस्ट येगबो सुन कहते हैं–"हमारी रिसर्च दिखाती है कि वे लोग जो दिन में केवल एक बार खाना खाते हैं, उनपर मृत्यु मृत्यु का ख़तरा ज़्यादा है बजाए उनके जो एक दिन में कई बार खाना खाते हैं। इन परिणामों के अनुसार हमने दिन में एक बार से ज़्यादा खाना खाने की सलाह दी है।"
रिसर्च में यह भी पाया गया है कि जो लोग स्मोकिंग करते हैं, या ज़्यादा अल्कोहल लेते हैं, उनमें फूड इनसिक्योरिटी है। जो लोग कम पोषक तत्व लेते हैं और ज़्यादा स्नैक्स लेते हैं उन्हें भूख कम लगती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ लोवा के एपिडेमियोलॉजिस्ट वाई बाओ की मानें तो, “हमारी रिसर्च में खाने की आदतों और मृत्यु दर के बीच खाने के समय और खाने के अंतराल जैसे संबंधों से जुड़े बहुत ज़रूरी सबूत दिखाए हैं।”
इस शोध अध्ययन में काम के घंटे, समय के दबाव, पोवर्टी, अलग-अलग डाइटिंग और उपवास के दृष्टिकोण जैसे कारकों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है, जिसके चलते लोग दिन में तीन बार भोजन न करने का विकल्प चुन रहे हैं।