Why is physical violence against women normalized by society: महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा को समाज में सामान्य मानना एक चिंताजनक और गंभीर समस्या है। यह ऐसे समाज की परिस्थिति को दर्शाता है जो नारी सशक्तिकरण और समानता के मामले में पिछड़ा है। आखिर क्यों अभी भी महिला के खिलाफ शारीरिक हिंसा को समाज में सामान्य माना जाता है? इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आखिर ऐसा क्यों होता है। क्यों समाज में महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा खत्म नहीं हो पा रही है?
समाज में महिला के खिलाफ शारीरिक हिंसा को सामान्य क्यों माना जाता है?
1. पुरानी सोच (Old Thinking)
एक पुरानी सोच जो पुरुषों का महिलाओं के ऊपर अधिकारी बताती है, इस समस्या का मुख्य कारण है। कुछ लोग मानते हैं कि महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से दंडित किया जाना स्वाभाविक है। ऐसी पुरानी सोच के कारण ही महिलाओं के खिलाफ हिंसा समाज में सामान्य हो जाती है। लोगों को अभी भी ऐसा लगता है कि महिलाओं के ऊपर उनका हक है, वो जो चाहे, जैसा चाहे महिलाओं के साथ कर सकते हैं।
2. सामाजिक दबाव (Social Pressure)
बहुत सी महिलाएं शारीरिक हिंसा का शिकार होती हैं, लेकिन वे इसे छिपाती रहती हैं क्योंकि समाज महिलाओं के ऊपर गलत आरोप लगा देता है। ऐसे माहौल में, महिलाओं को अपने अधिकारों की रक्षा करने की बजाय शारीरिक हिंसा को सहने के लिए मजबूर किया जाता है। समाज महिला को इतना मजबूर कर देना चाहता है कि वह अपने खुद के बलबूते कुछ कर ही ना पाए।
3. संस्कृति और परंपरा (Tradition and Culture)
कई समाजों में, पुरानी संस्कृतियों और परंपराओं का अभिप्राय यह होता है कि महिलाओं को पुरुषों के नियंत्रण में रहना चाहिए। इसलिए, महिलाओं के साथ होने वाली शारीरिक हिंसा को नकारात्मकता की नजर से नहीं देखा जाता। पुरानी संस्कृति और परंपराओं के आड़ में महिलाओं के साथ काफी अन्याय किया जाता है।
4. शिक्षा का अभाव (Lack of Education)
कई समाजों में महिलाओं को शिक्षा का समान अधिकार नहीं होता है, जिसके कारण वे अपने अधिकारों को नहीं जानती और समर्थ नहीं होती। इसके परिणामस्वरूप, वे अपने अधिकारों की रक्षा करने में असमर्थ होती हैं और उन्हें हिंसा के खिलाफ खड़े होने के लिए सहारे की आवश्यकता होती है।
5. मीडिया का प्रभाव (The Influence of Media)
मीडिया के द्वारा दिखाई जाने वाले विभिन्न धारावाहिक और फिल्मों में शारीरिक हिंसा को दिखाने का तरीका भी महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा को सामान्य मानने में योगदान देता है। जब हमारे समाज में ऐसी चीज़े फेमस होने लगती हैं, तो लोग उन्हें स्वीकार करने लगते हैं।