Legal Rights: हर लड़की को पता होने चाहिए ये 5 ज़रूरी कानूनी अधिकार

हर लड़की को अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी होना बेहद ज़रूरी है। जानिए 5 ऐसे ज़रूरी कानून जो महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वतंत्रता के लिए बनाए गए हैं।

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Vaishali Garg
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Photograph: (Freepik)

Legal Rights Every Girl in India Should Know: भारत में महिलाओं को कानूनी रूप से कई ऐसे अधिकार दिए गए हैं जो उनकी सुरक्षा, स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करते हैं। लेकिन अफ़सोस की बात है कि ज़्यादातर लड़कियों को अपने इन अधिकारों की पूरी जानकारी नहीं होती।

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अगर आप एक लड़की या महिला हैं, तो ये 5 ज़रूरी कानूनी अधिकार जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी है। ये न सिर्फ आपको सुरक्षित महसूस कराएंगे, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर आप खुद को या किसी और को भी मदद कर पाएंगी।

Legal Rights: हर लड़की को पता होने चाहिए ये 5 ज़रूरी कानूनी अधिकार

1. सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ अधिकार (The Right Against Sexual Harassment - POSH Act)

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कानून: Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013

अगर आपके साथ किसी भी कार्यस्थल पर अश्लील बातें, अजीब नजरें, गंदे मैसेज या छेड़खानी होती है, तो आप इस कानून के तहत शिकायत कर सकती हैं। हर संस्था में Internal Complaints Committee (ICC) होना अनिवार्य है। कोई भी लड़की 3 महीने के अंदर शिकायत दर्ज करा सकती है। ज़रूरत पड़े तो पुलिस में FIR भी दर्ज की जा सकती है।

2. गुप्त पहचान का अधिकार (Right to Privacy in Sexual Assault Cases)

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अगर किसी लड़की के साथ यौन शोषण या रेप जैसी घटना होती है, तो उसकी पहचान को गुप्त रखना कानूनन ज़रूरी है।

कानून: भारतीय दंड संहिता की धारा 228A

कोई भी मीडिया संस्था, पुलिस या अन्य व्यक्ति पीड़िता की पहचान उजागर नहीं कर सकते। अगर कोई ऐसा करता है तो वो अपराध माना जाएगा।

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3. मुफ्त कानूनी सहायता पाने का अधिकार (Right to Free Legal Aid)

अगर किसी लड़की के पास वकील रखने के पैसे नहीं हैं, तो वो Legal Services Authority Act, 1987 के तहत मुफ्त में सरकारी वकील की मदद ले सकती है।

ये सेवा हर जिले की Legal Services Authority के ज़रिए मिलती है। ज़रूरत पड़ने पर महिला हेल्पलाइन नंबर से भी संपर्क किया जा सकता है।

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4. घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार (Right Against Domestic Violence)

कानून: Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005

ये कानून सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक, भावनात्मक, यौन और आर्थिक हिंसा को भी घरेलू हिंसा की श्रेणी में मानता है। अगर पति, ससुरालवाले या किसी और रिश्तेदार द्वारा हिंसा होती है, तो महिला इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकती है।

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महत्वपूर्ण: महिला को अपने ससुराल या मायके में सुरक्षित रहने का अधिकार है। उसे जबरदस्ती घर से निकाला नहीं जा सकता।

5. माता-पिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार (Equal Right in Parental Property)

कानून: Hindu Succession (Amendment) Act, 2005

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अब बेटियों को भी बेटों की तरह अपने माता-पिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार है, चाहे शादी हुई हो या नहीं।

अगर कोई बेटी इस हक से वंचित की जा रही है, तो वो कोर्ट में जाकर अपना हिस्सा मांग सकती है।

Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी जागरूकता के उद्देश्य से दी गई है। किसी भी कानूनी सलाह के लिए संबंधित विभाग या वकील से संपर्क करें।

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