मिलिए आंचल भटेजा से, जो हैं सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने वाली पहली नेत्रहीन महिला वकील

आंचल भटेजा भारत के सर्वोच्च न्यायालय में केस लड़ने वाली पहली नेत्रहीन महिला हैं। वह विकलांग अधिकारों और संगीत के प्रति भी गहरी रुचि रखती हैं।

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Udisha Mandal
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Meet Anchal Bhateja, First Blind Woman Advocate To Argue A Supreme Court Case

Photograph: ( Newz Hook)

Meet Anchal Bhateja, First Blind Woman Advocate To Argue A Supreme Court Case: आंचल भटेजा ने 6 जून को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक मामले पर बहस करने वाली पहली दृष्टिहीन महिला अधिवक्ता के रूप में इतिहास रच दिया। वह नेशनल लॉ स्कूल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (NLSIU) की स्नातक, विकलांगता अधिकार कार्यकर्ता भी हैं, जो भारतीय कानूनी प्रणाली में अधिक सुलभता और समावेशिता की वकालत करती हैं। वह भारत में विकलांगता के साथ जी रही कुछ वकीलों में से एक हैं।

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मिलिए आंचल भटेजा से, जो हैं सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने वाली पहली नेत्रहीन महिला वकील

आंचल भटेजा की कहानी

आंचल भटेजा ने जन्म संबंधी कारणों के कारण अपनी दृष्टि खो दी और रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी (आरओपी) विकसित कर ली। उनके शुरुआत में शिक्षा में सुविधाओं की कमी जैसी बहुत सी चुनौतियों भरी थी। उन्होंने केस लॉ और विधान का अध्ययन करने के लिए उन्होंने स्क्रीन रीडर, ऑडियोबुक और ब्रेल जैसी सहायक तकनीकों पर भरोसा किया।

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भटेजा ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) पास किया और बेंगलुरु के नेशनल लॉ स्कूल ऑफ़ इंडिया यूनिवर्सिटी (NLSIU) में पहली नेत्रहीन छात्रा बनीं। भटेजा ने 2023 में B.A.LLB ऑनर्स के साथ स्नातक किया। सुप्रीम कोर्ट के वकील के रूप में उनकी यात्रा दृढ़ संकल्प और कई वर्षों की कड़ी मेहनत से जाना जाता है।

अपनी प्रैक्टिस के अलावा, आंचल भटेजा नेत्रहीन कानून के छात्रों और विकलांगता अधिकार पाने वालों को भी सलाह देती हैं। वह एक एक्सेसिबिलिटी एडवोकेट, क्वीर-राइट्स एडवोकेट, संगीतकार, वक्ता और स्तंभकार भी हैं। उन्होंने डेक्कन हेराल्ड, द वायर और द लीफलेट जैसे जाने माने प्रकाशनों के लिए भी कई लेख लिखा है। Law Legal Policy के अनुसार, उनके शौक में उर्दू साहित्य और स्टैंड-अप कॉमेडी भी शामिल हैं।

ऐसी ही कहानी: भारत की पहली न सुन पाने वाली वकील

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सारा सनी भारत की पहली ऐसी वकील जिनको सुनने में दिक्क्त हैं। केरल के कोट्टायम की मूल निवासी सारा ने बेंगलुरु में सेंट जोसेफ विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की। ​​उन्होंने वकालत में न केवल रुचि के कारण बल्कि अन्य लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए भी कानूनी पेशे को चुना। सितंबर 2023 में, सनी ने इतिहास रच दिया जब वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक मामले पर बहस करने वाली पहली न सुन पाने वाली वकील बनीं। वह नेशनल एसोसिएशन ऑफ डेफ और ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क की वकालत की सक्रिय सदस्य हैं।

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