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आज के समय में डूबते हुए सूरज को देखना, पानी की लहरों के साथ टहलना, अकेले बैठकर चाय पीना, अपने ख्यालों को सुनना, कुछ भी न करना या किसी के साथ घंटों बातें करना, ये सब कहीं पीछे छूट गए हैं। अब जब भी हमें फुर्सत मिलती है, हम सीधे फोन खोलकर स्क्रोलिंग करने लग जाते हैं। देखते-देखते 2-3 घंटे गुजर जाते हैं और हमें एहसास भी नहीं होता।
स्क्रोलिंग के दौरान थोड़े समय के लिए तो डोपामिन रिलीज होता है, लेकिन बाद में मन खालीपन और उदासी से भर जाता है। धीरे-धीरे हम खुद को पहचानना ही भूल जाते हैं। हमें पता ही नहीं चलता कि हमारे लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा। हम बस पानी की सतह पर बहते पत्तों की तरह चलते रहते हैं, बिना यह समझे कि हमारी मंज़िल क्या है या जीवन का उद्देश्य क्या है।
स्क्रोलिंग के जमाने में खुद को समय कैसे दिया जाए?
सुबह की शुरुआत बदलें
अधिकतर लोग सुबह उठते ही सबसे पहले फोन की तरफ भागते हैं, नोटिफिकेशन चेक करते हैं और रातभर की सोशल मीडिया अपडेट देखने लगते हैं। यह आदत दिन की शुरुआत को ही थका देती है। सुबह उठकर सबसे पहले पानी पिएं, कुछ पल चुपचाप बैठें और संभव हो तो उगते हुए सूरज को देखें। दिन की पहली किरणों का स्वागत करें न कि स्क्रीन की नीली रोशनी का। फोन को सुबह के कुछ समय बाद ही हाथ लगाएं।
फोन को सिर्फ स्क्रोलिंग का जरिया न बनाएं
फोन में सिर्फ सोशल मीडिया नहीं, बल्कि कई उपयोगी चीज़ें भी हैं। आप इसमें एक्सरसाइज ऐप्स डाउनलोड कर सकते हैं, ध्यान (मेडिटेशन) कर सकते हैं, ऑडियोबुक सुन सकते हैं, किसी पुराने दोस्त से बात कर सकते हैं, नोटपैड में अपने विचार लिख सकते हैं, या किसी को प्यार भरा मैसेज भेज सकते हैं। फोन को सिर्फ अंतहीन स्क्रोलिंग का साधन बनाना खतरनाक है क्योंकि यह आपकी ऊर्जा, समय और मानसिक शांति तीनों छीन लेता है।
अकेले समय का महत्व
आज के सोशल मीडिया के युग में अकेले समय बिताना मुश्किल हो गया है। जैसे ही हम कोई ऐप खोलते हैं, हम एक ऐसी भीड़ में पहुंच जाते हैं जहां हर कोई किसी दौड़ में है - कोई नई कार खरीद रहा है, कोई विदेश घूम रहा है, कोई बड़ी उपलब्धि दिखा रहा है। ऐसे में ज़रूरी है कि आप रोज़ कुछ समय अपने लिए निकालें। खुद से सवाल करें, खुद को परखें और यह जानने की कोशिश करें कि आप वास्तव में कौन हैं, आपकी असल जरूरतें और इच्छाएं क्या हैं।
अपने लोगों के साथ वक्त बिताएं
परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना डिजिटल डिटॉक्स का सबसे आसान और सुखद तरीका है। अगर घर में माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी हैं तो उनसे बातचीत करें, हंसी-मज़ाक करें। दोस्तों के साथ बैठें, पार्क या मॉर्निंग वॉक पर जाएं। यह सच्ची जुड़ाव और अपनापन किसी भी स्क्रोलिंग से कहीं ज़्यादा संतोष और खुशी देता है।