How Do Bengali's Celebrate Saraswati Puja: सरस्वती पूजा यानी वसंत ऋतु का आभास जब वसंत के इस पावन पर्व पर हम सरस्वती देवी की आराधना करते हैंI साल की शुरुआत में सरस्वती पूजा बंगाल में मनाए जाने वाले कई त्योहारों में से एक हैI जहां हर घर एवं गली के हर नुक्कड़ पर आपको सरस्वती मां की प्रतिमा दिखेगीI घर के बुजुर्ग से लेकर बच्चों तक हर कोई नहा- धोकर पूजा की तैयारियों में जुड़ जाते हैI मंडप सजाने से लेकर भोग की तैयारी, हर जगह चहल-पहल लगी रहती हैI वसंत के मौसम की चहचहाती धूप और प्रकृति की सुंदरता के बीच देवी सरस्वती की पूजा की जाती है जिसे हम वसंत पंचमी भी कहते हैंI देवी सरस्वती को विद्या, समृद्धि और कला का प्रतीक माना जाता है और जो भी उनको मन से पूजता है कहा जाता है कि सरस्वती मां अपना आशीर्वाद सर्वदा उन पर बनाए रखती हैI
कब है सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त?
इस साल सरस्वती पूजा फरवरी के महीने को 14 फरवरी, बुधवार में मनाई जाएगीI जहां पंचांग के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी 2024 को दोपहर 2:40 पर होगी और अगले दिन 14 फरवरी को दोपहर 12:09 पर समाप्त होगीI 14 फरवरी को सरस्वती पूजा किया जाएगा जहां 9:00 बजे से पूजा का शुभ मुहूर्त माना जा रहा हैI
कैसे मनाया जाता है बंगालियों में यह त्योहार?
सरस्वती पूजा की सुबह, घर के सभी बच्चे, बड़े, बुजुर्ग उठकर नहाते हैं जहां लड़कियां कच्ची हल्दी से अपना स्नान करती हैI उसके बाद सभी बसंती रंग के कपड़े पहनते हैं, छोटी- बड़ी सभी उम्र की लड़कियां साड़ी पहनती है और लड़के धोती- कुर्ता फिर पूजा तक खाली पेट और मन में उत्साह लेकर बैठे रहते हैं, पंडित जी के इंतजार मेंI जैसे ही पंडित जी आते है वह अपनी पूजा शुरू कर देते हैं और पूजा के वक्त सभी देवी सरस्वती को पुष्पांजलि अर्पण करते हैंI मजे की बात यह है कि सरस्वती पूजा के दिन बच्चों को मौका मिल जाता है, ना पढ़ने का क्योंकि ऐसा मानने में है कि उस दिन सरस्वती मां खुद पढ़ाई में मग्न रहती है इसलिए केवल सरस्वती पूजा के दिन के लिए सभी किताबें माता सरस्वती के चरणों में रख देते हैं और फिर सभी मिलकर पूजा के बाद प्रसाद बांटते हैंI सरस्वती पूजा के दिन छोटे-छोटे बच्चों को 'हाथे- खोड़ी' दिया जाता है यानी उन्हें पहली बार शिक्षा से माता सरस्वती के सामने अवगत करवाया जाता है जब वह स्लेट पर चौक से अपने जीवन का पहला अक्षर लिखते हैंI
कौन से पकवान बनाए जाते हैं पूजा के दिन?
फिर आती है भोग की बारी, भोग में देवी सरस्वती को खिचड़ी, लाब्रा (सब्जियों का मिश्रण), तला हुआ बैंगन और आलू का भजिया, सजा कर देते हैंI इसके साथ चटनी, पापड़ और खीर भी परोसा जाता हैI इसके बाद भक्त भी भोग को बड़े चाव से खाते हैंI सिर्फ यही नहीं शाम को कई जगहों पर सरस्वती पूजा के अवसर पर समारोह का आयोजन किया जाता है जहां पर नृत्य, संगीत और कलाई का प्रदर्शन होता है जिसका प्रतीक है मां सरस्वतीI सरस्वती पूजा के दूसरे दिन यानी शीतल षष्ठी के दिन भक्त 'गोटा शेद्दो' खाते हैंI गोटा शेद्दो एक पारंपरिक बंगाली गाढ़ी दाल का सूप है जो सर्दियों में या विशेष रूप से सरस्वती पूजा की रात को बहुत सारी सब्जियों के साथ तैयार किया जाता है। इसे आलू, बैंगन मूंग दाल और कई तरह के सामग्रियों के साथ बनाया जाता हैI इसकी खास बात यह है कि इसे बिना किसी मसाले के बनाया जाता है और कहा जाता है कि गोटा शेद्दो हमें कई तरह की मौसमी बीमारियों से बचाता हैंI फिर बारी आती है 'दधी कर्मा' यह एक तरह की स्वादिष्ट, मीठा पकवान है जहां पर चिवड़ा, खोई, दही, मिष्टी दही, बताशा, केला, मिठाई और कई तरह के बादाम के साथ इसे बनाया जाता हैंI
क्या आपको पता है की सरस्वती पूजा को बंगालियों का वैलेंटाइंस डे माना जाता है और सबसे अद्भुत बात यह है कि इस साल बंगाली वैलेंटाइंस डे बिल्कुल 14 फरवरी के वैलेंटाइंस डे के दिन के दिन मनाई जाएगीI