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Self Validation: दूसरों से वेलिडेशन मांगने की बजाय औरतें करें खुद को वैलिडेट

हमें सेल्फ वैलिडेशन की तरफ बढ़ना चाहिए जिसका मतलब है कि हम अपनी फीलिंग्स को समझ रहे हैं लेकिन हम अपनी गलत भावनाओं को जस्टिफाई नहीं कर रहे हैं, बस उन्हें स्वीकार कर रहे हैं और खुद को जज नहीं कर रहे।

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Rajveer Kaur
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Self Validation

(Image Credit: Oasis Mental Health Applications)

How To Practice Self Validation: हम अपनी जिंदगी में बहुत सारे लोगों से वैलिडेशन मांगते हैं जिससे एक तरह से हमारे रिश्ते को स्ट्रांग बनते हैं लेकिन जब यह वैलिडेशन हमारी खुद की एक्जिस्टेंस पर सवाल खड़ा कर देती है कि हम कैसे लग रहे हैं, हमें क्या करना चाहिए, हम अच्छे हैं या बुरे तब दूसरों से वैलिडेशन लेना गलत हो जाता है। इसलिए हमें सेल्फ वैलिडेशन की तरफ बढ़ना चाहिए जिसका मतलब है कि हम अपनी फीलिंग्स को समझ रहे हैं लेकिन हम अपनी गलत भावनाओं को जस्टिफाई नहीं कर रहे हैं, बस उन्हें स्वीकार कर रहे हैं और खुद को जज नहीं कर रहे।

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दूसरों से वेलिडेशन मांगने की बजाय औरतें करें खुद को वैलिडेट

शुरुआत में आपको मुश्किल लगेगा क्योंकि हमें दूसरों से वैलिडेशन मांगने की आदत पड़ चुकी है और वो धीरे-धीरे ही जाएंगी। आप रोजाना अपनी जिंदगी में छोटी-छोटी आदतों से वैलिडेशन को प्रैक्टिस कर सकते हैं और  खुद के कॉन्फिडेंस को बढ़ा सकते हैं।

भावनाओं को स्वीकार करें

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सेल्फ वैलिडेशन के लिए हमें अपनी भावनाओं को स्वीकार करना होगा और इसके साथ यह भी जानना होगा कि अगर हमें कोई चीज महसूस हो रही है वो हम नहीं है। उससे हम अपनी पर्सनालिटी और व्यवहार को डिफाइन नहीं कर सकते हैं। अगर आपके कारण किसी को बुरा लगा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप बुरे आदमी है लेकिन यह भी नहीं कि यह बात सही है। हमें अपनी भावनाओं को स्वीकार करना होगा और उन्हें जाने देना होगा।

खुद के साथ Kind रहें

हम अपने साथ कभी भी kind नहीं रहते हैं। हम अपनी काबिलियत और अच्छाइयों पर हमेशा सवाल उठाते रहते हैं। हमें लगता है कि दूसरा आकर हमारे बारे में बताएं,  अच्छी बातें करें लेकिन हम खुद कभी भी पहल नहीं करते हैं कि हम खुद को प्यार करें। खुद को अच्छा नहीं बोलते हैं और अपनी अच्छाइयों को हाइलाइट नहीं करते। हम हमेशा खुद को अपनी गलतियों के लिए और पास्ट के लिए जज करते रहते हैं जो कि गलत है। इससे आप कभी भी खुश नहीं रह पाएंगे।

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Perfect मत बनें

जब हम पर्फेक्ट बनने की कोशिश करते हैं। हम चाहते हैं कि हम सब कुछ सही करें। दूसरे लोग हमेशा हमारे बारे में अच्छी बातें ही करें। वो हमारे लिए पॉजिटिव एटीट्यूड ही रखें। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है और कोई भी आपसे 100% खुश नहीं रह सकता है। हर किसी को आपसे किसी भी तरह की समस्या हो सकती है। इसलिए आपको पर्फेक्ट बनने की आदत छोड़नी होगी और जो भी आपकी कमियां हैं, उन्हें अपनाना होगा और अपनी अच्छाइयों को एक्नॉलेज करना होगा। 

Boundaries सेट करें

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दूसरों के विचार या उनके दृष्टिकोण को अपना मत बनाएं। इससे आप खुद की आइडेंटिटी को खत्म करते जाएंगे। दूसरों के साथ बाउंड्रीज बनाना बहुत जरूरी है। इसके बारे में उन्हें बताएं। सबसे जरूरी बात जो भी बाउंड्रीज आप दूसरों के साथ बना रहे हैं उन्हें प्रैक्टिस में लाना भी बहुत जरूरी है। दूसरों का आपकी लाइफ में दखल उतना ही होना चाहिए जितना आपके लिए जरूरी है। उनका ज्यादा दखल भी आपकी आपके लिए टॉक्सिक हो सकता है या आप में नेगेटिविटी भर सकता है।

आप जैसे है अच्छे हैं

आप जैसे भी हैं अच्छे हैं। खुद को स्वीकार करना सीखे। कमियां हर व्यक्ति में होती हैं और हर वक्त दूसरों को खुश करना, उनके लिए अपने आप को बलिदान करते रहना और उनसे इच्छा रखना कि वो आपकी प्रशंसा करें या आपके बारे में अच्छा बोले जिसका मतलब है कि आप दूसरों के लिए खुद को बदल रहे हैं जो किसी भी तरीके से सही नहीं है। ऐसा मत करें। खुद को प्यार करना सीखें। खुद की कमियों और अच्छाइयों को वैलिडेट करें

खुद की जरूरतों पर ध्यान दें

जब हम एक्सटर्नल वैलिडेशन मांगते हैं तब हम दूसरे को क्या अच्छा लगता है, दूसरे आपको कैसे चाहते हैं तब आप वैसे रहना शुरू करते हैं लेकिन सेल्फ वैलिडेशन से आप खुद की जरूरतों पर ध्यान देते हैं। आपको जो अच्छा लगेगा आप वो करेंगे। इससे आपका मन भी शांत रहेगा। आपके खालीपन भरने लगेगा।

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