Role Of Mindfulness For Pain Management: हम सब दर्द से गुजरते हैं लेकिन सबसे बड़ी बात यह होती है कि हम उनके साथ डील कैसे करते हैं। अगर हम दुःख को लेकर बैठ जाएंगे और खुद को कोसते रहेंगे तो हम कभी भी उससे बाहर नहीं निकाल पाएंगे। इससे हमारा समय और एनर्जी बहुत ज्यादा खराब होगा। आखिर में हमें सिर्फ दुख ही मिलेगा। आज हम इस टॉपिक पर बात करेंगे कि कैसे हम दुख को मैनेज करने के लिए माइंडफूलनेस को प्रैक्टिस कर सकते हैं क्योंकि इससे हमारा दुख के प्रति नजरिया बदलता है-
Mindfulness: दर्द को कम करने में माइंडफूलनेस का क्या रोल है?
Not Self Blaming
आमतौर पर जब हमें कोई भी दुख या दर्द स्थिति में से गुजरना पड़ता है हम खुद को दोष देने लग जाते हैं। हम अपनी थिंकिंग को रेशनल करने की बजाय इमोशनल कर देते हैं। हमें लगता है कि शायद हम ऐसा नहीं करते तो हमारे साथ ऐसा नहीं होता, हमारा उस व्यक्ति के साथ राब्ता ना होता तो शायद यह सिचुएशन अलग होती। हम वहां पर गए होते इसलिए ऐसा हुआ। इन सब बातों से हम खुद को ब्लेम करते हैं। यह आपका दर्द को कभी भी कम नहीं कर सकती। इसलिए माइंडफूलनेस हमें खुद को ब्लेम करने की बजाय, सॉल्यूशन ढूँढना सिखाता है।
Change The POV
हमें दर्द के प्रति दृष्टिकोण बदलने की बहुत ज्यादा जरूरत है। इसमें माइंडफूलनेस बहुत काम आएगा क्योंकि यह हमें दुख और सुख की स्थिति में भावनाओं को बैलेंस करना सिखाता है। हम लोग खुशी में बहुत ज्यादा खुश हो जाते हैं और दुख में बिल्कुल ही आस छोड़ देते हैं जो कि गलत है। हमें यह समझना होगा कि दुख और सुख दोनों जिंदगी का एक अहम हिस्सा है।
Divert The Attention
हर समय दुख के बारे में सोचते रहना भी दुख को और बढ़ा देता है। अगर आप सोचते रहेंगे कि मेरे यहां पर चोट लगी है तो आपको दर्द ज्यादा महसूस होगा। इसलिए दुख में से निकलने के लिए अपने ध्यान को अन्य चीजों की तरफ केंद्रित करें। हर चीज दुख नहीं है। इस दुनिया में बहुत सारी खूबसूरत चीजें हैं, अपना फोकस उन पर कीजिए। जब दुख का समय खत्म हो जाएगा वह खुद ही चला जाएगा।
Forgive Yourself
हमें माफी देना और लेना कभी नहीं सिखाया जाता और खुद को माफ करने का कॉन्सेप्ट तो हम सबके लिए ही बहुत नया है। हम खुद के साथ नेगेटिव सेल्फ टाॅक कर सकते हैं और ब्लेम कर सकते हैं लेकिन कभी भी माफ नहीं कर सकते। हमें लगता है कि हर समस्या की जड़ हम खुद हैं जो बहुत नेगेटिव थिंकिंग है। माइंडफूलनेस हमें यह बताती है कि गलतियां हम इंसान से होती है। उनसे सीखना सबसे बड़ी बात है। इसलिए खुद को दोष देने की बजाय माफ कीजिए और आगे बढ़ाने की सोचिए।
Accept The Situation
हमें स्वीकार करना नहीं आता हैं। हम खुद को वैसे स्वीकार नहीं करते जैसे हम हैं। हमारे आसपास जो स्थिति है हम उसे भी नकार देते हैं। जिस कारण हमारी समस्याएं ज्यादा बढ़ जाती है। पहले भी हमने वहीं बात की थी कि दुख आएगा लेकिन उसे स्वीकार करना बहुत जरूरी है। माइंडफूलनेस जैसे योगा और मेडिटेशन आदि हमको इस में बहुत मदद करेगा।