Types Of Cognitive Distortion: क्या आपकी भी ऐसी सोच है जिससे आप खुद को नकार देते हो और आपकी मोटिवेशन खत्म हो जाती है। इसे हम कॉग्निटिव डिस्टॉर्शन कहते हैं। यह हमारी सोच का नकारात्मक और तर्कहीन पैटर्न है जो हमारे आत्म-सम्मान को इतना कम कर देता है कि हमें डिप्रैशन, एंजायटी और स्ट्रेस जैसी समस्याएं रहने लग जाती है। इनमें कोई फैक्ट और सच्चाई नहीं होती है। यह सब हमारे दिमाग में बनी बातें होती हैं। कई बार हम किसी सब्सटेंस या ड्रग का भी सेवन करने लग जाते हैं। यह कोई मेंटल इलनेस नहीं है लेकिन बहुत सारी मानसिक समस्याएं जैसे डिप्रेशन और एंजाइटी हो सकती हैं। चलिएलिए कुछ कॉग्निटिव डिस्टॉर्शन की टाइप जानते हैं-
जानिए 7 Cognitive Distortion जो आप महसूस करते हैं
Mind Reading
यह ऐसा कॉग्निटिव डिस्टॉर्शन है जिसमें हम पहले से ही सोच लेते हैं कि कोई हमारे बारे में क्या सोचता है और महसूस करता है।
Negative Focus
इस स्थिति में आप सिर्फ उन्हीं चीजों पर ध्यान देते हैं जो नेगेटिव होती है। आपका पॉजिटिव चीजों की तरफ आपका ध्यान कम जाता है या फिर जाता ही नहीं हैं।
Catastrophizing
यह आपके लिए इतनी भयानक हो सकता है कि आप बुरी चीजें सोचने लग जाते हैं या सिनेरियो बनाते हैं जो भी आपके साथ बुरा और भयानक हो सकता है। इसमें आपकी छोटी सी चिंता भी आपके लिए बहुत बड़ी बन जाती है क्योंकि आप बहुत ज्यादा उस चीज के बारे में सोचने लग जाते हैं। मान लीजिए अपने किसी को मैसेज किया, अगर उसका जवाब नहीं आया। आप अपने मन मे वर्स्ट सिनेरियो सोचने लगेंगे जो आपकी मेंटल हेल्थ पर इफेक्ट डालेंगे।
Labeling
जब हम खुद को या किसी को नेगेटिव तरीके से लेबलिंग कर देते हैं कि जैसे मैं बुरा हूं, मैं कुछ नहीं कर सकता, मैं फैलियर हूं, मेरे से नहीं होगा आदि सब इसमें शामिल है। इसमें हम खुद को बुरे तरीके से क्रिटिसाइज करते हैं और हम सामने वाले व्यक्ति को या खुद को किसी एक सिंगल इवेंट के साथ ही लेबलिंग करने लग जाते हैं।
Should Thinking
इसमें हम दूसरे व्यक्ति के बारे में सोचते हैं कि उसे ऐसा होना चाहिए या बात ऐसी करनी चाहिए थी। इसमें आप लोगों से एक्सपेक्ट करते हैं कि उन्हें इस तरीके से काम करना चाहिए। आपके पास उनके लिए रूल्स और एक्सपेक्टशंस होती हैं। इससे आपका सेल्फ एस्टीम बहुत कम हो जाता है और आपको एंजायटी की समस्या भी हो सकती है।
Emotional Reasoning
इस स्थिति में आप जो सोचते हैं उसे ही सच मानने लग जाते हैं। ऐसे में खुद को व्यक्त करना बहुत जरूरी है।अपने इमोशंस को वैलिडेट करने के लिए आप रियलिटी को भी ध्यान में रखें।
Overgeneralization
ओवरजनरलाइजेशन में आप एक ही घटना या फिर वाक्य को अपनी पूरी सच्चाई मान लेते हैं। उसके आधार पर ही आप खुद को जज करने लग जाते हैं। मान लीजिए अगर आपके साथ कुछ बुरा हुआ तो आपको लगता है कि आप आगे मेरे साथ बुरा ही होगा। मेरे साथ कुछ अच्छा हो ही नहीं सकता। ऐसी सोच आपके लिए गलत हो सकती है। आप बहुत डिमोटिवेट महसूस करेंगे और आपका सेल्फिश टीम भी कम हो जाएगा।