Menopause: पीरियड्स से मेनोपॉज़ तक, महिलाओं को क्या-क्या झेलना पड़ता है

महिलाओं का पीरियड्स से मेनोपॉज़ तक का सफर कई शारीरिक और मानसिक बदलावों से भरा होता है। इस दौरान उन्हें दर्द, दबाव झेलने पड़ते हैं, जो मानसिक तनाव बढ़ा देते हैं।

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Priyanka
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Menopause Talks

Menopause Talks Photograph: (Freepik)

From periods to menopause what all do women have to endure: महिलाओं की ज़िंदगी में पीरियड्स से लेकर मेनोपॉज़ तक का सफर आसान नहीं होता। यह एक लंबा और जटिल दौर होता है, जिसमें शरीर और मन दोनों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। Periods की शुरुआत के साथ ही लड़कियों को मासिक धर्म के दर्द, मूड स्विंग्स, थकान और कभी-कभी सामाजिक रोक-टोक से जूझना पड़ता है। यह समय शारीरिक बदलावों के साथ-साथ Mental stress का भी होता है, क्योंकि युवा उम्र में शरीर और भावनाएं दोनों ही तेजी से बदलती हैं।

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 पीरियड्स से मेनोपॉज़ तक, महिलाओं को क्या-क्या झेलना पड़ता है

जीवन के बीच का संघर्ष

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, महिलाएं प्रेग्नेंसी, मातृत्व, कामकाज और परिवार की जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती हैं, जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर दबाव डालता है। साथ ही, Hormonal बदलावों के कारण कई बार उन्हें अनिद्रा, डिप्रेशन, चिंता और ऊर्जा की कमी जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।

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मेनोपॉज़

फिर आता है मेनोपॉज़ का दौर, जब पीरियड्स पूरी तरह बंद हो जाते हैं। इस समय भी महिलाओं को गर्मी, रात में पसीना, हड्डियों की कमजोरी, याददाश्त कमजोर होना, और यौन इच्छा में कमी जैसी समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। साथ ही, समाज में मेनोपॉज़ को लेकर अनदेखी और शर्मिंदगी की भावना भी महिलाओं को मानसिक रूप से प्रभावित करती है।

सहायता और समझ की ज़रूरत

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महिलाओं को इस पूरे सफर में सही जानकारी, मेडिकल सपोर्ट और भावनात्मक सहारा मिलना बेहद ज़रूरी है। जब समाज खुलकर इस विषय पर बात करेगा और महिलाओं की देखभाल करेगा, तभी वे इस बदलाव को सहजता से स्वीकार कर पाएंगी। आखिरकार, पीरियड्स से मेनोपॉज़ तक का सफर महिलाओं की ताकत, सहनशीलता और जीवन के नए अध्याय का हिस्सा है, जिसे समझना और सम्मान देना चाहिए।

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