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Photograph: (Freepik)
Perimenopause Anxiety: मैं, प्रतिभा मूर्ति, हमेशा से यात्रा की दीवानी रही हूँ। नई जगहों की सैर, प्लानिंग का रोमांच और प्लेन में बैठने का उत्साह—ये सब मेरे लिए खुशी का सबब था। लेकिन हाल ही में कुछ बदल गया। अब जब भी कोई यात्रा नजदीक आती, मेरे पेट में एक अजीब सी बेचैनी होने लगती। एयरपोर्ट जाने या लंबी यात्रा की सोच से ही मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगता। घबराहट, चिंता, और एक अजीब सा डर मेरे उस शौक पर हावी होने लगा, जो कभी मेरी खुशी का सबसे बड़ा स्रोत था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा है। इसका कोई मतलब ही नहीं था।
जब Perimenopause के कारण यात्रा की चिंता बढ़ने लगी
मेरे साथ क्या हो रहा था?
पहले, मैंने सोचा कि शायद तनाव या काम के बोझ बहुत ज्यादा है या शायद मैंने घर पर बहुत सारी ज़िम्मेदारियाँ ले ली थीं। लेकिन चिंता बनी रही बल्कि हर यात्रा के साथ बढ़ती गई। क्या मैं बदल रही थी? यात्रा पसंद करने वाली प्रतिभा को क्या हुआ?
फिर, एक दोस्त ने बात करते हुए कहा "आप जानते हैं, यह पेरिमेनोपॉज जैसा लगता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था।"
Perimenopause? यह शब्द हाल ही में मेरी दुनिया में ज़्यादा घूम रहा था, लेकिन मैंने हमेशा इसे हॉट फ्लैश और अनियमित पीरियड्स से जोड़ा था, न कि अचानक होने वाली चिंता से। क्या यह सचमुच इसका कारण हो सकता है?
जब गहराई से जाना
जैसे-जैसे मैंने गहराई से जानना शुरू किया तो मुझे एहसास हुआ कि Perimenopause सिर्फ शारीरिक बदलाव नहीं, बल्कि हार्मोनल बदलावों का दौर है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन, जो मेरे शरीर और मन को संतुलित रखते थे, अब अनियमित हो रहे थे। इससे मेरे दिमाग पर भी असर पड़ रहा था।
मैंने कुछ पैटर्न देखे
- यात्रा से पहले चिंता बढ़ जाती थी।
- मेरा पाचन अनियमित हो गया, और हवाई अड्डे पहुंचने से पहले ही पेट खराब होने लगता।
- नींद टूटी-टूटी सी थी, जिससे थकान बढ़ती।
- भीड़, शोर, और नई जगहें मुझे परेशान करने लगीं।
वाह, यह नई वास्तविकता।
एक बार जब मुझे समझ में आ गया कि पेरिमेनोपॉज मेरी नई यात्रा चिंता की जड़ में था, तो मुझे राहत भी मिली लेकिन गुस्सा भी आया। राहत कि मैं 'अपना धैर्य नहीं खो रही थी' और गुस्सा इसलिए कि किसी ने मुझे पहले इस बारे में चेतावनी नहीं दी थी। और अब बड़ा सवाल, क्या किया जाना चाहिए...क्या होगा?
छोटे-छोटे बदलाव
- मैंने यात्रा से पहले गहरी साँस लेने की प्रैक्टिस शुरू की और खुद को याद दिलाया कि यह असुविधा कुछ समय के लिए है।
- मैंने अपने खानपान को बदला, ऐसे चीजें खाई जो पेट और सूजन को कम करते थे।
- मैंने नेचुरल सप्लीमेंट्स लिए जो हार्मोनल संतुलन का समर्थन करते थे।
- सबसे महत्वपूर्ण बात, मैं खुद को समझा कि ये अस्थाई समय है और स्वीकार किया।
मेरा यात्रा का प्यार खत्म नहीं हुआ, बस अब ये नया रूप ले रहा था, जैसे मैं खुद बदल रही थी। मैंने सीखा कि अपने शरीर को समझना ही मेरे आत्मविश्वास को वापस लाने की कुंजी है—चाहे मैं घर पर रहूं या दुनिया के किसी कोने में।