Perimenopause में पर्याप्त प्रोटीन आपकी कैसे मदद कर सकता है

जब आप पेरिमेनोपॉज की ओर बढ़ते हैं, तो आपके शरीर में हार्मोनल और शारीरिक दोनों तरह के अहम बदलाव होते हैं। इन बदलावों के असर को कम करने में प्रोटीन का सही मात्रा में सेवन बहुत मददगार साबित हो सकता है।

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Rajveer Kaur
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Perimenopause Anxiety

Photograph: (Freepik)

How can adequate protein help you in perimenopause: जब आप पेरिमेनोपॉज की ओर बढ़ते हैं, तो आपके शरीर में हार्मोनल और शारीरिक दोनों तरह के अहम बदलाव होते हैं। इन बदलावों के असर को कम करने में प्रोटीन का सही मात्रा में सेवन बहुत मददगार साबित हो सकता है। सबसे स्पष्ट लाभों में से एक यह है कि यह मांसपेशियों को सहारा देता है। पेरिमेनोपॉज के समय महिलाओं की मांसपेशियों की ताकत और मात्रा कम होने लगती है, जिसे सार्कोपेनिया कहा जाता है। अगर आप अपने आहार में पर्याप्त प्रोटीन लेती हैं, तो इससे मांसपेशियों को बनाए रखने में मदद मिलती है।

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Perimenopause में पर्याप्त प्रोटीन आपकी कैसे मदद कर सकता है

प्रोटीन हड्डियों की सेहत के लिए भी ज़रूरी है। 40 की उम्र के बाद कई महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों का कमजोर होना एक बड़ी चिंता बन जाती है। , इसकी वजह हार्मोन एस्ट्रोजन का कम होना होता है, जिससे शरीर में कैल्शियम का अवशोषण कम हो जाता है और हड्डियों का घनत्व घटता है। ऐसे में प्रोटीन, खासकर जो पौधों से मिलता है, ज़रूरी अमीनो एसिड प्रदान करता है जो हड्डियों की मरम्मत और मजबूती में काम आते हैं। जब आप प्रोटीन का सही मात्रा में सेवन करती हैं, तो इससे हड्डियां मजबूत होती हैं और फ्रैक्चर और दर्द का खतरा कम हो जाता है।

वजन को कंट्रोल करने के लिए प्रोटीन

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वजन को कंट्रोल करने में भी प्रोटीन की बड़ी भूमिका है। इस समय पर Metabolism में बदलाव के कारण कई महिलाओं का वजन बढ़ने लगता है। प्रोटीन युक्त खाना मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाता है और आपको ज़्यादा देर तक भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे ओवरइटिंग से बचाव होता है और वजन मैनेज करने में मदद मिलती है।

Gytree.com की न्यूट्रिशन एक्सपर्ट चाहत वासदेव का.मानना है, "यह एक ऐसा दौर होता है जब महिलाएं पेट दर्द, अपच, वजन बढ़ने, त्वचा और बालों से जुड़ी समस्याओं और मूड स्विंग्स जैसी दिक्कतों की बात करती हैं। और जब हम उनके खानपान को ध्यान से देखते हैं, तो पता चलता है कि वे अपनी ज़रूरत का 20% भी प्रोटीन नहीं ले रही होती हैं। यह आदत बदलनी ज़रूरी है" ।

आखिरी बात, इस समय पर आने वाले मानसिक और भावनात्मक (Emotional) उतार-चढ़ाव भी होते हैं। प्रोटीन दिमाग के काम और मूड को बेहतर करने में मदद कर सकता है। इसमें मौजूद अमीनो एसिड न्यूरोट्रांसमीटर बनाने में मदद करते हैं, जो मूड और दिमाग की कार्यक्षमता को कंट्रोल करते हैं। इससे मूड स्विंग्स और चिंता जैसी समस्याएं कम हो सकती हैं।

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अगर आप अपने आहार में Plant Based Sources के साथ प्रोटीन का अच्छा संतुलन रखती हैं, तो यह पेरिमेनोपॉज के सफर को न केवल आसान बना सकता है, बल्कि आपके समग्र स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकता है।

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