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Photograph: (Freepik)
Why is sexual pleasure equally important for women even after menopause: मेनोपॉज़ एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं के पीरियड्स रुक जाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उनकी इच्छाएं या ज़रूरतें खत्म हो जाती हैं। अक्सर हमारे समाज में यह मान लिया जाता है कि मेनोपॉज़ के बाद महिला की Sex Life का अंत हो गया है, जबकि सच्चाई यह है कि इस उम्र में भी महिलाएं उतनी ही भावनात्मक और शारीरिक अंतरंगता की हकदार हैं जितनी किसी और उम्र में।
मेनोपॉज़ के बाद भी महिलाओं के लिए यौन सुख क्यों है उतना ही ज़रूरी?
सेक्सुअल हेल्थ, मानसिक और भावनात्मक हेल्थ से जुड़ी है
यौन सुख केवल शारीरिक जरूरत नहीं, बल्कि एक मानसिक और भावनात्मक जुड़ाव का हिस्सा भी है। Menopause के बाद महिलाएं कई तरह के बदलावों से गुजरती हैं जैसे हॉर्मोन में उतार-चढ़ाव, मूड स्विंग्स, थकावट, या सेक्स ड्राइव में कमी। ऐसे समय में अगर उनका साथी उनके साथ खुलकर संवाद करे, उन्हें सहज और प्यार भरा स्पेस दे, तो वे खुद को पहले से ज़्यादा सशक्त और संतुलित महसूस करती हैं। ये भावनात्मक कनेक्शन ही उनके यौन जीवन को भी संतुलित और सुखद बनाता है।
सेक्स के फायदे सिर्फ आनंद तक सीमित नहीं होते
मेनोपॉज़ के बाद भी सेक्स महिलाओं के लिए फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिहाज़ से फायदेमंद होता है। इससे तनाव कम होता है, नींद बेहतर आती है, ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहता है और आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होती है। कुछ रिसर्च बताती हैं कि यौन रूप से सक्रिय महिलाएं इस फेज़ को ज़्यादा सहजता से पार कर पाती हैं क्योंकि वे अपने शरीर से जुड़ाव बनाए रखती हैं।
शर्म और चुप्पी तोड़ना ज़रूरी है
दुख की बात ये है कि हमारे समाज में उम्रदराज महिलाओं की यौन इच्छाओं को अब भी एक ‘टैबू’ की तरह देखा जाता है। उन्हें ‘दादी-नानी’ के फ्रेम में रखकर उनकी भावनाओं और इच्छाओं को अनदेखा कर दिया जाता है। लेकिन महिला चाहे किसी भी उम्र की हो, उसका शरीर, उसकी इच्छाएं और उसका सुख उतना ही महत्वपूर्ण है। अगर पुरुषों के लिए 50 की उम्र में सेक्सुअल एक्टिव रहना सामान्य माना जाता है, तो महिलाओं के लिए क्यों नहीं?
मेनोपॉज़ कोई रुकाव नहीं, बल्कि जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत है जिसमें महिला को फिर से अपने शरीर और रिश्तों से जुड़ने का मौका मिलता है। सेक्सुअल सुख इस सफर का एक अहम हिस्सा हो सकता है, अगर उसे प्यार, समझ और सम्मान के साथ जिया जाए। ज़रूरत है कि हम इस विषय पर बातचीत को सामान्य बनाएं, शर्म नहीं, समझ बढ़ाएं और हर उम्र की महिला को उसकी इच्छाओं के साथ जीने की आज़ादी दें।