Career vs Baby: क्या करियर छोड़ देना ही अच्छी माँ बनने का पैमाना है?

माँ बनने के बाद हर महिला के जीवन में कई बदलाव आते हैं। मातृत्व एक अलग अनुभव है, लेकिन इसके साथ कई जिम्मेदारियाँ भी जुड़ी होती हैं। जिसके लिए अक्सर महिलाओं को अपनी लाइफ के साथ कई बड़े समझौते भी करने पड़ते हैं जिनमे से एक है करियर।

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Priya Singh
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Career vs Baby: माँ बनने के बाद हर महिला के जीवन में कई बदलाव आते हैं। मातृत्व एक अलग अनुभव है, लेकिन इसके साथ कई जिम्मेदारियाँ भी जुड़ी होती हैं। जिसके लिए अक्सर महिलाओं को अपनी लाइफ के साथ कई बड़े समझौते भी करने पड़ते हैं जिनमे से एक है करियर। लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या एक महिला को अच्छी माँ बनने के लिए अपना करियर छोड़ देना चाहिए? अक्सर महिलाओं को बच्चे की देखभाल के लिए अपने करियर के साथ समझौता करना पड़ता है लेकिन क्या ये जरूरी है?

क्या करियर छोड़ देना ही अच्छी माँ बनने का पैमाना है?  

माँ की भूमिका और करियर के प्रति समाज की सोच

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समाज अक्सर महिलाओं से यह अपेक्षा करता है कि एक माँ अपने करियर से अधिक बच्चों की देखभाल को प्राथमिकता दे। पारंपरिक सोच यह मानती है कि माँ का जरूरी काम बच्चे की देखभाल करना है, जबकि पिता कमाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। लेकिन बदलते समय के साथ महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में बढ़ी है और वे माँ बनने के बाद भी अपने करियर पर फोकस कर रही हैं।

क्या करियर छोड़ना ही सबसे अच्छा ऑप्शन है?

हर महिला की परिस्थितियाँ अलग होती हैं और यह जरूरी नहीं कि करियर छोड़ना ही माँ बनने का एकमात्र उपाय हो। कई महिलाएँ वर्क फ्रॉम होम के जरिए अपने करियर और परिवार के बीच संतुलन बना रही हैं या वे अन्य तरीके खोज रही हैं ताकि बच्चे की देखभाल के साथ अपना करियर सम्भाल सकें।

बच्चों पर माँ के करियर का प्रभाव

अक्सर कहा जाता है कि कामकाजी महिलाओं के बच्चे उपेक्षित महसूस करते हैं, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। माँ का प्यार और देखभाल केवल उसके घर पर रहने से नहीं, बल्कि उसके साथ बिताए गए क्वालिटी टाइम से तय होता है। कामकाजी माँओं के बच्चे आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी हो सकते हैं क्योंकि वे बचपन से ही अनुशासन और टाइम मैनेजमेंट सीखते हैं।

माँ की खुशहाली का असर बच्चे पर

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एक माँ की मेंटल और इमोशनल स्थिति का सीधा असर बच्चे पर पड़ता है। अगर कोई महिला अपने करियर को लेकर संतुष्ट नहीं है और अपने सपनों को त्याग कर घर पर रहती है, तो इससे उसकी मानसिक स्थिति प्रभावित होती है। खुशहाल और आत्मनिर्भर माँ अपने बच्चे को भी पॉजिटिव एनर्जी देती है, जिससे उसका विकास बेहतर होता है।

करियर और परिवार में संतुलन कैसे बनाएँ?

करियर और मातृत्व के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह असंभव नहीं है। सही योजना, परिवार का सहयोग और कार्यस्थल पर सहयोग के माध्यम से महिलाएँ दोनों भूमिकाओं को सफलतापूर्वक निभा सकती हैं। टाइम मैनेजमेंट और प्राथमिकताओं को समझना इस संतुलन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

समाज की मानसिकता में बदलाव जरूरी

समाज को यह समझना होगा कि माँ बनने का अर्थ अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को त्यागना नहीं है। महिलाओं को यह अधिकार मिलना चाहिए कि वे अपनी प्राथमिकताएँ स्वयं तय करें। अगर कोई महिला माँ बनने के बाद भी अपने करियर को जारी रखना चाहती है, तो उसे समाज और परिवार से सपोर्ट मिलना चाहिए।

अच्छी माँ बनने की परिभाषा क्या होनी चाहिए?

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अच्छी माँ बनने का पैमाना केवल यह नहीं हो सकता कि वह अपने करियर को त्याग दे। एक माँ वह है जो अपने बच्चे को अच्छे संस्कार, प्यार और सुरक्षा प्रदान करे, चाहे वह कामकाजी हो या गृहिणी। हर महिला को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह अपने जीवन के निर्णय खुद ले सके, बिना किसी सामाजिक दबाव के।

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