Book On The Love Story Of Sudha Murty And Narayana Murty Gets Published: सुधा मूर्ति न केवल एक लेखिका हैं बल्कि एक अध्यापिका, एक समाज-सेवी और एक संस्थापक भी हैं जिन्होंने 'हाउ आई टॉट माय ग्रैंडमदर टू रीड', 'वाइज एंड ओथेरवाइज' एवं 'डॉलर बहू' जैसी कई लोकप्रिय किताबें लिखी हैं लेकिन इस बार यह किताब उन्होंने लिखी नहीं है बल्कि उनके बारे में लिखी गई हैI जी हां! सुधा मूर्ति एवं उनके पति नारायण मूर्ति के संघर्षों के बारे में तो आप सभी को पता है लेकिन क्या आपको पता है कि किस तरह से उन दोनों ने एक दूसरे का साथ निभाकर कदम से कदम मिलाकर, अपनी प्रेम कहानी की शुरुआत की थी और आज दोनों भारत के उच्चतम मल्टीनैशनल इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के संस्थापक हैंI
किस बारे में है यह किताब?
कुछ ही दिनों पहले दादा-दादी बने सुधा मूर्ति एवं नारायण मूर्ति भारत के जाने-माने व्यक्तित्व में से एक है लेकिन उनकी शुरुआत के दिनों की कहानी और भी दिलचस्प है जब वह इंफोसिस के संस्थापक नहीं बल्कि केवल एक युवक और युवती थे जो अपना भविष्य बना रहे थे और एक दूसरे का साथ दे रहे थेI यह पुस्तक उनके प्यार के पहले पहले हालातो को दर्शाती है कि किस तरह उन्होंने एक दूसरे का साथ दिया फिर शादी की और अपने जीवन में आने वाले चुनौतियों का सामना कियाI यह किताब विशेष रूप से इंफोसिस के निर्माण और उसके पीछे सुधा मूर्ति एवं नारायण मूर्ति की साझेदारी का किस्सा सुनाती है कि कैसे नारायण मूर्ति इतने बड़े सफर को तय करने के लिए तैयार थे और किस तरह से आर्थिक और भावनात्मक रूप से सुधा जी ने उनकी सहायता की थी। इसमें नारायण मूर्ति की सुधा के साथ बिना टिकट के 11 घंटे की ट्रेन यात्रा जैसे किस्से शामिल हैं, जो उनके काम और रिश्ते दोनों के प्रति उनके समर्पण को दर्शाते हैं। उनके सफर को शब्दों में दर्शन ए का कार्य करने वाली 'एन अनकॉमन लव' की लेखिका दिवाकरुनी कहती है कि-
“मैं उनका मानवीय पक्ष, उनकी खामियाँ, उनकी चुनौतियाँ दिखाना चाहती थी और किस चीज़ ने उन्हें इनसे उभरने और आगे बढ़ने में सक्षम बनाया। मैं चाहती थी कि लोग मेरे नायक और नायिका से जुड़ें, उनके साथ हँसे और रोएँ और अंततः कहें, 'अगर वे ऐसा कर सकते हैं, तो मैं भी यह कर सकता हूँI''
कौन हैं इस किताब की लेखिका?
इस किताब की लेखिका चित्रा बनर्जी दिवाकरुनी एक भारतीय एवं अमेरिका की लेखिका, कवयित्री और ह्यूस्टन विश्वविद्यालय में क्रिएटिव राइटिंग के मैकडेविड प्रोफेसर भी हैं। इनकी शॉर्ट स्टोरी की किताब 'अरेंज्ड मैरिज' को 1996 में अमेरिकन बुक अवार्ड का सम्मान भी मिला थाI चित्रा जी का जन्म कोलकाता में हुआ था और उन्होंने अपना ग्रेजुएट भी यही से पूरा किया है बाद में अपने पीएचडी के सिलसिले में वह बर्कले शिफ्ट हो गईI चित्रा जी एक काल्पनिक लेखिका है एक सत्य कहानी पर लिखने के लिए वह पहले हिचकिचाई जरूर लेकिन क्योंकि वह सुधा जी को करीब से जानती थी इसलिए उन्होंने उनकी कहानी पर लिखने का मन बनाया उनके और सुधा जी के संबंध के बारे में उन्होंने कहा कि-
“मूर्ति परिवार और मैं एक-दूसरे को 1970 के दशक से जानते हैं, जब से सुधा के भाई श्रीनिवास और मैं एक साथ स्नातक विद्यालय में थे। इसलिए मैं उनके जीवन से जुड़े हर तरह के मुद्दे पर चर्चा करने में सहज महसूस करती हूं। हम चाय पीते, नाश्ता करते और बातें करते। मेरा रिकॉर्डर हर समय चालू रहता था, लेकिन यह बहुत आरामदायक था। यह दोस्तों के साथ बातचीत करने जैसा था। हालाँकि, कभी-कभी हम गंभीर विषयों से भी निपटते थे जैसे कि कोई दर्दनाक पल लेकिन मूर्ति परिवार मेरे सभी सवालों के जवाब देने में बहुत खुले और स्पष्ट थेI''