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मेन्टल हेल्थ की करी है वकालत
अपनी मशहूर किरदारों और फिल्मों के अलावा दीपिका उन सेलेब्रिटीज़ में से एक हैं जो अपने मेंटल हेल्थ के स्ट्रगल के बारे खुल के बात चीत करते हैं। दीपिका डिप्रेशन के खिलाफ अपनी लड़ाई और क्यों लोगों को डिप्रेशन के बारे में और अवेयर होना चाहिए इस बारे में सबको बताती हैं।
डिप्रेशन से लड़ाई
उनको 2014 में असीम सफलता और सराहना मिली। पर उन्हें अपने अंदर कुछ अजीब महसूस हुआ। उन्होंने साइकोलोजिस्ट से मुलाकात की ताकि उनकी मेंटल कंडीशन बेहतर होसके।
anxiety और डिप्रेशन diagnose होने के बाद उन्होंने दवाइयां और काउंसलिंग कराई जिसके बाद वो नार्मल होपायीं। उन्होंने मूवीज़ से 2 महीनों का ब्रेक लिया ताकि वो ठीक हो सकें।
टैबू नहीं डिप्रेशन
मुम्बई वापस आने के बाद उनके दोस्त की खुदकुशी ने उन्हें हिला कर रख दिया। उन्होंने तभी decide किया और डिप्रेशन का टैबू तोड़ने के लिए टी वी पर इसके बारे में बात की।
"अगर मैं एक ज़िन्दगी को भी बदल सकती हूं ये बता के कि मैं भी इससे गुज़री हूं और मैं इससे निकल पायी क्योंकि मेरे पास एक बहुत मजबूत सपोर्ट सिस्टम था तो क्यों नहीं?"
Live Love Laugh फाउंडेशन की स्थापना
अपना अनुभव बताने के अलावा दीपिका पादुकोण ने बैंगलोर में बेस्ड 'Live, Love, Laugh' फाउंडेशन स्थापित की है। उन्होंने 10 अक्टूबर( मेन्टल हेल्थ डे) 2015 को अपनी counsellor Anna Chandy, psychiatrist डॉ श्याम भट , अनिर्बन दास और नीना नायर को इस फाउंडेशन का ट्रस्टी बनाया है।
"दोबारा पूछो"
दीपिका पादुकोण ने 'दोबारा पूछो' का भी campaign चलाया था। इस कैंपेन में किसी को भी देखकर एक बार और उससे पूछना कि वो ठीक है कि नहीं की बात की गई है।
ये कैंपेन सबसे रिक्वेस्ट करता है कि अपने प्रियजनों का ख्याल रखें और उन्हें अपना असली state ऑफ mind बोलने के लिए encourage करें।
उन्होंने और भी कई summits और discussions में ये बात की है कि क्यों मेन्टल हेल्थ ज़रूरी है और क्यों इसे सीरियसली लेना चाहिए।
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