Budget Session 2023: आज से बजट सत्र प्रारंभ हो गया है। बजट सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने आर्थिक सर्वेषण 2022-2023 पेश किया। ये रिपोर्ट आम बजट से एक दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश की। आर्थिक सर्वेक्षण से साबित किया गया कि सरकार महिलाओं को फ़ोकस में रखकर अपनी योजनाएं और कार्य आगे बढ़ा रही है। केंद्र सरकार ने अपनी योजनाओं में महिलाओं की भूमिका को देखते हुए अपनी योजनाएं कारगर कीं।
आर्थिक सर्वेक्षण से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु :-
महिलाओं को केंद्र में रखकर बनाईं योजनाएं
केंद्र सरकार ने महिलाओं को ध्यान में रखते हुए जल जीवन मिशन, उज्जवला योजना, सौभाग्य योजना जैसी योजनाएं शुरू की। सरकारी आंकड़ों की माने तो 6 करोड़ परिवारों को नल का पानी मुहैया हो रहा है, 9 करोड़ महिलाओं को एलपीजी गैस कनैक्शन प्राप्त हो गया है और 2.6 करोड़ परिवारों के घर बिजली कनैक्शन पहुंच गया है। पहले महिलाओं को दूर से पानी भरकर लाना पड़ता था, चूल्हे में खाना बनाना पड़ता था और रौशनी घर पर नहीं थी। केंद्र सरकार की योजनाओं से ये समस्याएं दूर हुई हैं।
सेल्फ़ हैल्प ग्रुप में महिलाएं भी
रिपोर्ट की मानें तो केंद्र सरकार ने सेल्फ़ हैल्प ग्रुप के तहत महिलाओं के लिए रोज़गार के अवसर पैदा किए हैं। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मज़बूत हुई है बल्कि उन्में आत्मनिर्भरता आई है। स्वयं सहायता समूह महिला सशक्तिकरण का एक प्रमुख माध्यम बनकर उभरें हैं। इस समय देश में 80 लाख से अधिक सेल्फ़ हेल्प ग्रुप कार्य कर रहे हैं जिनसे 9 करोड़ महिलाएं जुड़ी हुई हैं। सरकार की ओर से आज लाखों-करोड़ों की मदद इन विमेन सेल्फ़ हेल्प ग्रुप को दी जा रही है।
पहली बार महिलाएं पुरुषों से ज़्यादा
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 2022-2023 में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या पहली बार भारत देश में ज़्यादा देखी गई है। वर्ष 2022-2023 में 1000 पुरुषों में 1020 महिलाएं हैं जो वर्ष 2021-2022 में 937 थीं। इसके साथ ही मौजूदा सरकार ने मातृत्व अवकाश को 6 हफ़्तों से बढ़ाकर 26 हफ़्तों तक किया। पीएम सुरक्षित मातृत्व अभियान की मानें तो 3.11 महिलाओं की प्रसव से पहले जांच की गई, वहीं 23 करोड़ महिलाओं को मुद्रा लोन दिया गया।
समानता के अधिकार से अब महिलाएं दूर नहीं
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि महिला सशक्तिकरण से जुड़े इन उपायों को समर्थन देना चाहिए। ऐसा करने से महिलाओं को वो अधिकार मिलेगा जो उन्हें संविधान ने पहले ही दे रखा है। इसके साथ ही महिलाओं में निर्णय लेने की क्षमता भी पैदा होगी।